RE: दशहरे पर रावण को जलाना कितना उचित?
रावण का दोष ये था कि उसने एक औरत के अपमान का बदला दूसरी औरत के अपमान से लेने की कोशिश की। जब राम और लक्ष्मण ने शूर्पनखा का अपमान किया तो उसको उसी समय राम और लक्ष्मण से बदला लेना था न कि सीता का हरण करना था।
आज भी भारतीय उपमहादीप में देखे तो अगर किसी की लड़की किसी लड़के के साथ भाग जाती है तो कई बार लड़की पक्ष वाले लड़के की बहिन या माँ का रेप कर उससे बदला लेते हैं। ये ही रावण की मानसिकता थी। बाकी क्या था और क्या न था -ये तो कहानी है। हालांकि रावण के पुतले को जलाने का कोई अर्थ नहीं है। ये लोगों के लिए मनोरंजन से ज्यादा कुछ भी नहीं है। कुछ लोगों के लिए पुतला दहन केवल एक परंपरा को ढोना भर है। जहां तक आज के परिपेक्ष्य की बात है, ये सब करना गलत है क्योंकि पुतला दहन करना पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। इसके लिए कितनी लकड़ी काटी जाती है और कितना प्रदूषण होता है, ये किसी से छिपा नहीं है।
जी, आपका विश्लेषण भी ठीक प्रतीत होता है। लेकिन मेरा मानना है कि लक्ष्मण ने जो किया वह या तो over-reaction था या फिर नाक-काटना एक प्रतीक रूप में कहा गया और उसने सच में उसका मुंह काला कर दिया हो! जो भी हुआ अनुचित ही हुआ था।
और आपका कथन बिलकुल ठीक है कि पुतला दहन और पटाखों का प्रयोग हमारे ही पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहा है। परंपराएं तो मानव समाज को सकारात्मक रूप से बांध कर सृजनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहने के लिए बनाई जाती थी। किंतु उनकी प्रासंगिकता अब समाप्त-सी हो गई है और हम सिर्फ उन्हें ढो भर रहे हैं।