You are viewing a single comment's thread from:
RE: सुख : स्वरूप और चिन्तन (भाग # ३) | Happiness : Nature and Thought (Part # 3)
निस्वार्थ से सेवा करना और सभी को एक समान नजर से देखना ,तभी हमें सच्ची ख़ुशी मिल सकती है.
निस्वार्थ से सेवा करना और सभी को एक समान नजर से देखना ,तभी हमें सच्ची ख़ुशी मिल सकती है.