क्षमा वीरस्य भूषणम् (भाग # १) | Heroes Pride Forgiveness (Part # 1)
क्षमा वीरस्य भूषणम् (भाग # १) | Heroes Pride Forgiveness (Part # 1)
क्षमा वीरों का भूषण है । कमजोर, असमर्थ अथवा कायर क्षमा कर सकने की शक्ति धारण ही नहीं करता, जो शक्तिधारी है, वीर है, वही क्षमावान हो सकता है । संसार में सबसे अधिक शक्तिशाली तीर्थंकर होते हैं, अत: वे सबसे अधिक क्षमावान भी होते हैं ।
क्रोध एक दुर्बलता है । मानव-जीवन में वह सहज है, किन्तु तभी तो उसे विजित करने की आवश्यकता है – मानव-जीवन का लक्ष्य ही है – कमजोरी, दुर्बलता को विजित करना तथा मानसिक तथा आत्मिक शक्तियों का विकास करना । अन्यथा मनुष्य का जीवन तथा एक मस्तिष्कविहीन पशु का जीवन दोनों समान ही बन जाते हैं । मनुष्य जीवन की विशेषता उसमे से निकल जाती है ।
दुर्बल व्यक्ति ही अधिक क्रोध करता है । क्योंकि क्रोध के अतिरिक्त वह और कुछ कर ही नहीं सकता ! शक्तिशाली व्यक्ति कुछ कर सकता है, अत: निरर्थक क्रोध की उसे आवश्यकता नहीं होती । या तो वह पूर्ण प्रतिकार करता है, अथवा यदि वह अधिक विचारवान है तो वह क्षमा करता है । अत: यह कहा जा सकता है कि क्रोध करना कायरों का कार्य है, वीरों का धर्म तो क्षमा करना ही है ।
यह एक सिद्ध सत्य है कि घृणा से घृणा ही उत्पन्न होती है । इसी प्रकार क्रोध से क्रोध ही बढ़ सकता है । उससे स्नेह, शान्ति नहीं मिल सकती । आज का युग आपसी कलह, ईष्या तथा युद्ध की भावना के कारण विनाश के कगार पर आ पहुंचा है । मनुष्य युद्ध की अग्नि को प्रज्वलित करके शांति की शीतलता पाने का स्वप्न देख रहा है । यह कैसी विडम्बना है ! यह विचार और बुद्धि के सर्वथा विनाश का ही संकेत है । आग का परिणाम आग और जलन ही हो सकता है । बुराई करके बदले में भलाई की आशा करना पागलपन या मुर्खता ही कहा जा सकता है । यह अबोधता एक बालक की सहज अबोधता से भी हीन है ।
क्रोध शान्त करने के लिए वीर प्रभु ने कहा है –
अर्थात् क्रोध को शांति से, अहंकार को नम्रता से, कपट (माया) को सरलता से और लोभ को संतोष से जीतो । यही शांति का मार्ग है ।
क्रोध जितने के शक्ति क्षमा में ही है ।
भर्तृहरि ने कहा है –
वैर भाव को जीतने के लिए क्षमा का नीर चाहिए । जिस प्रकार राख फेंकने वाले के स्वयं के मुंह पर ही राख उड़कर आती है, उसी प्रकार गाली देने वाले को ही गाली लगती है । इस विषय में भगवान बुद्ध का दृष्टांत हम सभी जानते हैं । किसी के द्वारा उन्हें गाली दिये जाने पर उन्होंने क्षमाभाव धारण करते हुए कहा था – “गाली उसने मुझे दी होगी, किन्तु मैंने तो वह गाली ली नहीं । उसकी गाली तो उसी के पास रही ।”
क्रोध को समाप्त किये बिना कल्याण का पथ ग्रहण नहीं किया जा सकता ।
क्रोध तथा कालकूट विष में भी बहुत अन्तर है । कालकूट विष कम से कम अपने को धारण करने वाले का विनाश नहीं करता । किन्तु क्रोध तो इतना प्रबल विष है कि वह स्वयं को धारण करने वाले को ही विनष्ट कर डालता है । हमें गम्भीरतापूर्वक विचार करके अपने जीवन में समाये हुए इस विष को निकाल फेंकना चाहिए ।
विश्व भौतिकता के क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति कर रहा है । विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है । किन्तु यह सारी प्रगति केवल बाह्य है । आंतरिक उन्नति केवल अपने गुणों के विकास के द्वारा ही सम्भव है, और वही सच्ची उन्नति है भी । क्षमाभाव का विकास इस सच्ची उन्नति के लिए अनिवार्य है । धर्म के वास्तविक स्वरूप को जानने के लिए क्षमा-गुण का होना आवश्यक है और इस गुण को प्राप्त करने के लिए क्रोध का परित्याग किया जाना चाहिए । जो व्यक्ति क्रोध की वृत्ति से दूर रहता है वह बड़े से बड़े कटु प्रसंग के उपस्थित होने पर भी क्रोधित नहीं होता । उसका व्यवहार प्रेम तथा मधुरता से परिपूर्ण हो जाता है ।
The English translation of this post with the help of google language tools as below:
Forgiveness is the pride of the heroes. The weak, the incompetent or the cowardly does not even have the power to forgive, who is powerful, is brave, he can be forgiven. The most powerful tirthankaras in the world are, so they are also most forgiving.
Anger is a weakness He is comfortable in human life, but only then he needs to win - the goal of human life is only - to overcome weakness, weakness and to develop mental and spiritual powers. Otherwise both human life and the life of an unconscious animal become both the same. The characteristic of human life comes out of it.
The person who is weak is more angry. Because apart from anger she can not do anything else! A powerful person can do something, therefore, he does not need a furious anger. Either he completely resists, or if he is a more intelligent, he pardons. Therefore it can be said that anger is the work of cowards, the religion of the heroes is to forgive.
It is a proven fact that hatred arises only from hatred. Similarly anger can increase anger. She can not get affection, comfort Today's era has reached the brink of destruction due to mutual discord, war and spirit of war. Man is dreaming to get the coolness of peace by igniting the fire of war. This is ironic! This is an indication of the utter destruction of thought and intellect. The result of fire can be fire and irritation only. Expecting good for evil in return can be called madness or foolishness. This ignorance is inferior to the simplicity of a child.
To calm anger, the heroic Lord has said -
That is to say that in peace, calm the ego with gentleness, deceit (Maya) with ease and greed with contentment. This is the path of peace.
The power of anger is only in forgiveness.
Bhartruhari has said -
Apologies for forgiveness for victory over bribery. As the ash flies on its own mouth, as well as the ash flies, the same person is abusive. We all know the illustration of Lord Buddha in this subject. When he was abducted by somebody, he had said in grave affection - "The abuse he might have given me, but I did not abuse him. His abuse was with him. "
Without ending anger, the path of welfare can not be assumed.
There is a lot of difference between anger and cocktail poison. Kalkut Venus does not at least destroy the one who holds it. But anger is such a strong poison that it destroys the person who holds himself. We should think seriously and throw away this poison in our life.
The world is progressing rapidly in the field of materialism. Science has gone a long way. But all this progress is only external. Internal advancement is possible only through the development of its qualities, and that is the true progress. Development of apology is essential for this true advancement. To know the real nature of religion, it is necessary to have forgiveness and to get this virtue, anger should be abandoned. The person who stays away from anger does not get angry even when he is present in the big worn context. His behavior becomes full of love and sweetness.
soory sir mere kiyal se ya sirf hindi bolna wali samag sakth ha
If people learn and apply how to forgieve the whole world will changed ......
Forgivness is the most powerfull solution of every quirlled problem.
What we call in India is gandhigiri
मेरे ख्याल से इसे गाँधीगिरी नहीं कहते है. गांधीगिरी में तो हम प्रेम से अपनी बात कहते है न कि क्षमा मांगते और देते है. गांधीगिरी में बिना कोई हिंसा किये अपनी बात सामने वाले को समझानी होती है.
क्रोध जीवन को अंत की तरफ ले जाता है।
और क्षमा जीवन को सरल बनाती है।
अगर हम सच्चे मनुष्य है , तो हमे अपने क्रोध को अपने वष में करना होगा तभी हमारे अंदर क्षमा का भाव आएगा।
नशा एक जीवन का नाश करता है, और क्रोध उस मनुष्य के साथ साथ उसके परिवार का भी नाश करता है।
सत्य वचन है @priyankar जी.
Mehta ji aap kha se hai and kya krte hai..
Mehta Ji, it is great post thanks, just want to add one thing, forgiveness is ok but it is very very tough as well specially in these conditions, but I just say we need to replace courage with compassion, means we should have the courage to have compassion, lets become courageous enough to have compassion. Thank you so much Mehta ji.
Would appreciate if you could see my posts as well.
You can do good things in any manner/way, which you can like and feels that this is OK for you and our community. Keep the spirit up. Thanks for commenting.
क्षमा मनुष्य का वह अस्त्र है जिस से वह दूसरों के मन को आसानी से जीत सकता है, लेकिन क्रोध से ऐसा नहीं हो सकता है।
क्रोध से हमेशा दूसरों को दुःख मिलता है और कुछ नहीं।
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@rajesh97 आपने एकदम उचित बात कही है.
बिल्कुल सही
True dear, adding --- krodh se baad me sabse jayada khud ko hi dard hoga
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सत्यवचन कहा आपने । ईश्वर ने मनुष्य का मष्तिस्क ऐसा शक्तिशाली बनाया है कि इसमें अच्छा बुरा सोचने एवं उसे परिभाषित करने की क्षमता है ।क्रोध से नकारात्मक विचार का जन्म होता है एवं वैमयनस्ता का जन्म होता है ।क्षमा से सकारत्मकता का जन्म होता है ।एक बार फिर से आपकी लेखनी ने बहुत प्रभावित किया आपका बहुत बहुत साधुवाद।
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@mehta सही बोल रहे हैं पर आज के समय में यह देखा गया है कि यदि आप किसी को क्षमा कर देते हैं तो वह उसे ऐसा लगता है कि हम कमजोर है तो क्षमा हर जगह किया जाना उचित नहीं है
क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो।
जहाँ आपको उचित लगे, वहां तो क्षमा कीजिए. शरुआत तो कीजिए, फिर देखिए हमारी दुनिया में क्या-क्या बदलाव होते है. आपको क्षमा करके अच्छा लगेगा और साथ ही शांति का अनुभव होगा, जो की सबसे महत्तवपूर्ण है.
Thanks for advice, Sir .Plz try to blog about how to achieve peace of mind heart and soul .
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अपनी गलतियों पर क्षमा माँगना और दूसरों की गलतियों के लिए उसे क्षमा कर देना मनुष्य के चरित्र के दैविय गुण हैं।
कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता , क्षमा करना शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है।
Fully agreed bro .
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क्रोध एवं अहंकार मनुष्य का दुश्मन है, मनुस्य उपासना योग आदि तरीको से स्वयं पर काबू रखना सीख सकते है।
यदि हम इन गलत चीजो पर काबू करना सीख ले तो, हमारी सभी समस्याएँ ख़त्म हो जाएंगी.
जी मेहता जी बिलकुल ठीक कहा आपने।
छमा वीरो की पहचान को दर्शाता हे छमा कने के लिए बोहत बड़ा हर्दय होना चाहिए और वेसे छमा भी वाही मांगता हे जो हर्दय से साफ़ हो कोई कोई कपट न हो कियोकि छमा एक सचा इंसान ही मांग सकता हे