ये दुनिया का सबसे गहरा खड्डा है जिसको 24 मई 1970 से बनाना सुरु किया गया था. (पार्ट-2)

in #would7 years ago

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नमस्कार दोस्तों कैसे हो सब! सब ठीक है ना आज हम दुनिया के 1 खड्डे के बारे मे जानकारी करने वाले हूं आप शायद आप नहीं जानते होंगे आज मैंने सोचा मेरी खबर सुनाने से पहले आप की खबर ले लु तो चलिए दोस्तों आपका ज्यादा समय ना लेते हुए मैं आपके सामने मेरी यह खड्डे वाली न्यूज़ रखने की कोशिश करूंगा.
दोस्तों इस जानकारी के पार्ट 1 पार्ट 2 से तैयार किया गया है आज पार्ट 2 की पोस्ट होगी और आशा करूंगा आप मुझे अपवोट देकर मेरा सम्मान करें।

अमेरिकी वैज्ञानिकों को दी चुनौती
वहीं 1970 में रूस के वैज्ञानिकों ने अमेरिकी वैज्ञानिकों को चुनौती देने के लिए इस योजना पर काम करने का मन बनाया। 1970 में रूस की सरजमीं पर इस गड्ढे को खोदने का काम शुरू किया गया। इसे नाम दिया गया कोला सुपरडीप बोरहोल का। 24 साल बीत गए इसे खोदते-खोदते, लेकिन पृथ्‍वी की बाहरी सतह के नाम पर वैज्ञानिकों के हाथ कुछ नहीं लगा। फाइनली 1994 में इस बोरहोल का काम बंद कर दिया गया। वैज्ञानिकों ने इस बात को स्‍वीकार किया कि इतना गहरा होल बनाना कोई आसान काम नहीं है। ये बेहद मुश्‍किल है। अब फिलहाल इस होल को ऊपर से बंद कर दिया गया है।
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आखिर मिला क्‍या इतनी गहराई में
अब सवाल ये उठता है कि इतने साल बीत गए जिस होल को बनाने में आखिर उसकी सतह पर वैज्ञानिकों को मिला क्‍या। वैसे ये जानना बेहद रोमांचक होगा। इसको लेकर वैज्ञानिकों ने बताया कि इस होल की तली में उन्‍होंने तीन खास चीजें पाईं हैं। सबसे पहले तो ढेर सारा पानी है। इस पानी के बारे में इनका कहना है कि क्‍योंकि यहां पत्‍थर के रूप में मौजूद खनिज पदार्थ नीचे स्‍थित ऑक्‍सीजन और हाइड्रोजन अणुओं को दबाकर पानी निकाल देते हैं। ये वही पानी है। इस बात को इसलिए भी पुख्‍ता कहा जा सकता है क्‍योंकि पानी में एचटूओ (हाईड्रोजन और ऑक्‍सीजन) मौजूद होता है।
ये तो 0.2% गहराई भी नहीं थी।

दूसरा, यहां 6700 मीटर की गहराई में प्‍लैंक्‍टन फॉसिल्‍स (एक तरह के जीवाश्‍म, जो आसानी से नहीं पाए जाते) भी पाए गए हैं। तीसरा, यहां का तापमान बेहद गर्म है। ये करीब 350 डिग्री फॉरेनहाइट तक होता है। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने ये राज भी खोला कि जहां उन्‍होंने ये गड्ढा पृथ्‍वी की सतह तक पहुंचने के उद्देश्‍य से किया था। वहीं इतने साल इतनी गहराई खोदने के बाद भी वह पृथ्‍वी की गहराई के सिर्फ 0.2% पर ही पहुंच सके थे। अब जरा ये सोचिए कि और कितनी गहराई चाहिए थी पृथ्‍वी की सतह पर पहुंचने के लिए।
आज ये खड्ड 12262 मीटर (12किलोमीटर) गहरा है जो दुनिया का सबसे गहरा बोर वेल है। इसको deepest artificial point on earth भी कहा जाता है।

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Ohh. Ye sach me application hai

Han bhai application hy mujhai like do nai post p

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Bro ap kaha se ho..?

Afghanistan sy

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Bhay ye post aap nai kiya tha na ye kamina cheeta ban karlega kisi bili wagaira ki pics upload kiya karo copy karogay to ban karta he

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@sabirshah Apne Toh Apne abhi abhi steemit join Kiya Hai toh phir aap Ko Itna knowledge Kaise...?

Mai nai sab pada hy steemit k baray mai bhai jan ye kamina spiderweb protocol sy search karta hy kahi sai bhi utha leta hy bhut gandu chez hy ye

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