अपनो की ही साजिशों के हम शिकार........................
अपनो की ही साजिशों के हम शिकार बनते गए, रिश्तों में हमने दिल साफ क्या रखा, उतना ही लोग हमें बेवकूफ समझते गए|'."
अपनो की ही साजिशों के हम शिकार बनते गए, रिश्तों में हमने दिल साफ क्या रखा, उतना ही लोग हमें बेवकूफ समझते गए|'."