जब कोई सफाई कर्मी अपने सेवा,समर्पण और त्याग से विधायक बन जाता है
जब कोई से माननीय विधायक बन जाता है तो मैकालियन सिस्टम में दीक्षित काले अंग्रेज उसके बयान के व्याकरण की व्याख्या करने में अपनी सारी ऊर्जा लगा देते है, मजाक बनाया गया उसके बयान की,खल्ली उड़ाई गई।जनता के प्रति उसके समर्पण और सेवा भाव को अपमानित करने का पुरजोर प्रयास किया गया।
किताबी ज्ञान वाले बौद्धिक बकलोलो का शुद्धतावादी आतंक भारत की अनपढ़ और कम पढ़ी-लिखी जनता पर लगातार जारी है।
लेकिन ये समझ लो किताबी किंतु तंग मानसिकता वालो पढ़ाकू बकलोलो,हम महात्मा कबीर के अनुयायी है जिसने बुलन्दी से स्वीकारा की मैं अनपढ़ हू।लेकिन ऐसा रास्ता दिखाया,ऐसी सोच पैदा की हम उनके चरणों मे झुके गए और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते ही हमे प्यारे लगने लगे।
इसी परम्परा ने दीक्षित है हमारे माननीय गणेश चौहान।जैसे महात्मा कबीर की भाषा को शुद्धतावादियों ने सधुक्कड़ी और फक्कड़ी साबित करते हुए उनको कमतर बताया,लेकिन महात्मा कबीर ने अपनी नैसर्गिक प्रतिभा से एक नए व्याकरण की रचना कर दी।उसी तरह भारतीय राजनीति में अनुकरणीय आदर्श को स्थापित करेंगे गणेश।
ठीक कबीरा के रास्ते पर चलते हुए आदरणीय गणेश चौहान भारतीय राजनीति में एक बड़ी लकीर खीचेंगे।