My third poetry..!
Hello friends I am sandeep kumar
and this is my third poem,
घर में पडा है थैला पर सामान पोलीथीन मेंं लाया जा रहा है,
पर्यावरण का संकट सर पे छाया जा रहा है ।
बगीचों को काट कर खेत बनाया जा रहा है ,
जीवन को कम करके अन्न उगाया जा रहा है।
पर्यावरण का संकट सर पे छाया जा रहा है ,
वनों को काट कर कारखाना लगाया जा रहा है।
वृक्षों को नष्ट कर जीवन संकट में लाया जा रहा है,
पर्यावरण का संकट सर पे छाया जा रहा है ।
घर में पडा है थैला पर सामान पोलीथीन मेंं लाया जा रहा है,
सारकार कर रही है जागरुक पर उसे
कर्मो में न लाया जा रहा है,
पर्यावरण का संकट सर पे छाया जा रहा है ।
घर में पडा है थैला पर सामान पोलीथीन मेंं लाया जा रहा है,
इसे खेतोंं में पहुंचा कर मृदा को दूषित बनाया जा रहा है।
घर में पडा है थैला पर सामान पोलीथीन मेंं लाया जा रहा है,
करें सन्दीप विनम्र निवेदन अब तो बस भी करो न यारों।
पर्यावरण को करो सुरक्षित अपना जीवन स्वयं सवाँरो।।
"Sandeep kumar"
Attractive article keep it man
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Thank you so much sir
कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की एक अच्छी कोशिश है!!!! बहुत अच्छे!!!!
poem i like
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Nice poetry.. Sandip kumar...!
Garbage is big problem
Thank you for such poetry!
Plastic must be banned as it is increasing pollution. By not decomposing.