#13.2 - Whether you believe it or not, every incident of your life is in YOUR OWN HANDS !! (An Original Poetry)
Concept No.13 - EXTERNAL vs INTERNAL
Empty the garbage of ego and its allies,
and then see how the world switches to your side !
नाम जिसका था ज़िंदगी,
कहती कि तेरी हूँ अब मैं,
तु जैसा चाहे मुझे वैसा जी,
मना मैं भी क्यों करती भला,
अपने हिसाब कि मिल रही थी इक दुनिया ।
उसको जगह अपने अंदर मैंने एक दे दी,
और नए रास्तों पे संग उसके मैं चल्दी ।
मिलती रही नए लोगों से मैं
और मिले कई अनुभव मुझको,
समय बीतता गया
और भूल गई मैं उसको |
कहीं अंदर मेरे बंद थी वो
ज़िंदगी मेरी, बड़ी तंग थी वो |
जो सालों पहले साथ चलने का वादा किया था
जो ज़िंदगी खुल के जीने का इरादा किया था
भूल चुकी थी वो सब मैं
झेल रही थी अब तो सब मैं ।
मैं ही क्यों, हम सब ही तो झेल रहे हैं ,
खेलनी थी ये ज़िंदगी हमने
पर दूसरे अब इससे खेल रहे हैं ।
ये मौक़ा उनको दिया किसने ?
अपना नियंत्रण उनके हाथ में किया किसने ?
उन परिस्थितियों को राज तुमपर करने दिया जिसने,
उन लोगों को तुम्हारा अधिकार दे दिया जिसने,
कोई और नहीं वो तुम ही थे ,
अपने आप को जिसने दिया पिसने ।
ये जो कुछ भी है घट रहा,
मुश्किलों से तेरा जीवन जो कट रहा
ये सब एक पल में बदल सकता है
तेरे जीवन का सैलाब आसानी से संभल सकता है |
बस वो दरवाज़ा एक खोलना होगा
अंदर जिसके ज़िंदगी को क़ैद तूने कर रखा है
धागा फिर एक बार उससे जोड़ना होगा,
डोर को जिसकी अवैध तूने कर रखा है |
वो ही जिसके हाथ में
पहिया है तेरी गाड़ीं का,
तेरे अंदर और बाहर जो भी घट रहा
बोझ सारा है उसी पर इसकी ज़िम्मेदारी का ।
मानना मुश्किल है लेकिन सच यही है ,
तेरे साथ जो भी हो रहा, वजह तू ही है
ना है कोई क़िस्मत का खेल
ना कोई भगवान् इसका कारण है
केवल तू और तेरे अंदर छिपी ताक़त का ये सारा रंग है ।
बस कमी ये है कि तुने संपर्क उससे छोड़ दिया,
अपने अंदर छिपी शक्ति से संबंध तूने तोड़ दिया
अकेले उसको चलाना पड़ा तेरे जीवन के वाहन को,
मानकर बातें तेरी,
चाहे जीवन को कहा तुने पतझड़ हो या सावन हो ।
कहना बस उसे इतना था ,
क्या तेरे जीवन का सपना था
महरबान कितने थे लोग यहाँ
कमाल कितना था तेरा जहाँ ।
पर करके नज़रअंदाज़ हसीन इन लम्हों को
बताया तूने उसको आख़िर क्या ?
कि ग़लत क्या-क्या तेरे साथ हुआ,
बुरा क्या हर दिन हर रात हुआ ।
और सुन सुनकर दुखड़ा तेरा
वो और उसे बढ़ाती गई
तेरे अंदर छिपी ज़िंदगी
तेरी ही बातों को तो सच्चाई बनाती गई ।
अरे उसकी गलती क्या भला ?
बीज बोना तो काम तेरा था
सींचती रही तेरे ही दिए गए बीजों को वो
उसके बाग़ीचे में तेरा ही तो लगाया हुआ पहरा था ।
चाहे बात हो तेरे जिस्म में चल रही करोड़ों प्रक्रियाओं कि,
या हो बात तेरी ज़िंदगी में घट रही प्रतिक्रियाओं कि,
सब कुछ तेरे बस में है ये जान ले
बस विलाप गाथा बंद कर समस्याओं की ।
बदल कर अपना नज़रिया ,
देख वो जादू का दरिया ,
जिसके बीचों-बीच खड़ा है तू ,
देख वो खुशियों कि लड़ियाँ |
अच्छा या बुरा कुछ नहीं होता समाज में ,
होता है वही जो पढ़ता है रोज़ तू अपनी बनाई नमाज़ में |
तो ज़िंदगी को अपनी फिरसे तू हसीन कर ले,
अपनी हर चाहत को अब तू अपना नसीब कर ले ।
अपने किवाड को सिर्फ़ खुशियों के लिए खोल
हर दुख को तू दफ़न-ए-ज़मीन कर ले ।
अपने अंदर आने दे सिर्फ़ आभार को ।
फेंक कर कहीं आजा, अपने रोने धोने के भार को
और देख फिर कैसे बदलती है बाहर कि दुनिया तेरी
जैसे ही बदलता है तू अपने भीतर के व्यापार को ।
Image by - Renato Prkic ; Quotation on the image by - @Himshweta
Apologies to my English readers but don't loose your hearts, I will upload #13.3, which would be a description article of this poetry IN ENGLISH, like I do with every concept.
So stay tuned !!
i was worried :P
अच्छी बात है कि मैं आपकी कविता का अनुवाद कर सकता हूं मेरा पसंदीदा हिस्सा तब होता है जब आप हमारी आंतरिक शक्ति से संबंध के बारे में बात करते हैं धन्यवाद, आपका लेखन सुंदर है.
THanks for commenting and upvoting :D Greetings from India :D Time to check your blog now
Out of curiosity, to be able to read it, I use translations via google translate. I am trying to understand this poem, quite interesting.
Yes, I hope later you will post it in English so that many readers can enjoy this poem to the fullest.
Thanks @himshweta
Aww thats really sweet. Hehe
Dont worry, just a little more patience 😬 soon I will post the description ✌🏻
Hey, just to inform that article was uploaded few days back :)
It's all on one's attitude. See things positively and you'll see things falling on positive side
Thanks for your upvote and comment. Time to check your blog now :
You are most welcome ☺️
beautiful poem, @himshweta . Love this line -"देख फिर कैसे बदलती है बाहर कि दुनिया तेरी
जैसे ही बदलता है तू अपने भीतर के व्यापार को ।"...
Your thoughts manifest your reality :)
Thanks for your upvote and comment. Time to check your blog now
Well, I can't read it yet but... I have this feeling it's going to be something beautiful... I look forward to discovering more about what it means!
Thanks for sharing and great to find you here! Saw your post on the Discord channel... glad I followed it :)
With Love
Hart Floe Poet
<3
I uploded the proceeding article hartfloe. :) Hope you would love it too. letme have a look at ur blog too.
I await the english version meow
Its out there now. Thanks for waiting. Will check ur blog too.
Beautifully written. How meaningful.
Thank you for being such a sweetheart :)
My pleasure. keep posting such meaningful posts. we really like your work @himshweta.
Thanks a lot :) for the appreciation
hallo mam nice post i am new steemit member upvote done and help new ida
Omg shweta post in English I don't know hindi
sorry dear erode,
😂