आखिर कोर्ट मार्शल में ऐसा क्या होता है, जिससे डरकर मेजर ने कर दिया था शैलजा का मर्डर

in #news6 years ago

क्या होता है कोर्ट मार्शल
दरअसल जब कोई ट्रायल मिलिट्री कोर्ट में होता है, तो उसे कोर्ट मार्शल कहा जाता है। मिलिट्री कोर्ट मिलिट्री लॉ के तहत आरोपी को फांसी तक की सजा दे सकती है। इंडियन आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) और आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल के मेम्बर एचएस पनाग ने बताया कि आर्मी में चार तरह का कोर्ट मार्शल होता है...

  • जनरल कोर्ट मार्शल (GCM)

  • डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मार्शल (DCM)

  • समरी जनरल कोर्ट मार्शल (SGCM)

  • समरी कोर्ट मार्शल (SCM) शामिल है।

उन्होंने बताया कि, मर्डर और रेप को छोड़कर अन्य सभी तरह के अपराधों पर आर्मी कोर्ट अपना फैसला दे सकती है। जो केस आर्मी कोर्ट में नहीं देखे जाते उन्हें सिविल कोर्ट में ट्रांसफर किया जाता है।

आर्मी एक्ट में 70 तरह के क्राइम

  • कोई भी सैनिक या अफसर आर्मी रूल्स को तोड़ता है तो उसके खिलाफ इसी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है।

  • किसी भी तरह का मामला सामने आने पर कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी बिठाई जाती है। सैनिक या अफसर की रैंक से तय होता है कि किस रैंक का ऑफिसर उसकी जांच करेगा। यूनिट का कमांडिंग ऑफिसर कोर्ट मार्शल की अनुमति दे सकता है।

  • कुछ सजा ऑफिसर अपने लेवल पर भी दे सकते हैं। इनमें 28 दिनों की जेल से लेकर रैंक कम करने तक की सजाएं शामिल हैं। क्राइम सीरियस है तो फिर कोर्ट मार्शल होता है।

सिविल कोर्ट जैसे सभी नियम फॉलो होते हैं

  • मिलिट्री कोर्ट में ऑफिसर्स की जूरी होती है। सिविल कोर्ट की तरह यहां भी आरोपी ऑब्जेक्शन ले सकता है। अपने सबूत पेश कर सकता है। वकील रख सकता है। कोर्ट मार्शल का प्रोसीजर बढ़ाने के लिए इसमें एक एडवोकेट जनरल होता है। यह आर्मी की लीगल ब्रांच का अफसर होता है।

  • सिविल कोर्ट जैसे सभी नियम यहां फॉलो होते हैं। सभी सबूत देखने के बाद जूरी विचार-विमर्श करके तय करती है कि आरोप सही हैं या नहीं। कोर्ट मार्शल में मिली सजा के बाद आरोपी चाहे तो इसके खिलाफ चीफ ऑफ आर्मी या सेंट्रल गवर्नमेंट के पास भी अपील कर सकता है।

  • हालांकि सेना एक्शन तभी लेती है तो जब दूसरे सारे ऑप्शन खत्म हो जाते हैं। फर्स्ट स्टेज में काउंसलिंग के जरिए सुधार की कोशिश की जाती है। इन्क्वायरी सालभर या इससे ज्यादा तक भी चल सकती है। आर्मी में अलग से जेल नहीं बनाई जाती बल्कि सजा मिलने पर कमरे में कैद कर दिया जाता है।

  • आरोपी आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल में भी अपील कर सकता है। उसे लगता है वहां से न्याय नहीं मिल तो वो सिविल कोर्ट में भी अपील कर सकता है।

कितनी सजा दी जा सकती है

  • फांसी, उम्रकैद या एक तय समयावधि के लिए सजा सुनाई जा सकती है।
  • सर्विसेज से बर्खास्त किया जा सकता है।
  • रैंक कम करके लोअर रैंक और ग्रेड की जा सकती है।
  • वेतन वृद्धि, पेंशन रोकी जा सकती है। अलाउंसेज खत्म किए जा सकते हैं। जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • नौकरी छीनी जा सकती है। फ्यूचर में मिलने वाले सभी तरह के बेनिफिट जैसे पेंशन, कैंटीन बेनिफिट, एक्स सर्विसमैन बेनिफिट खत्म किए जा सकते हैं।
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