बेटी पराई हो जाती है।।

in #msgc7 years ago

मेरे प्रिय मित्रों ये कविता मेरे बड़े भाई ज्ञान प्रकाश की इसमें उन्होंने बिटिया के लिए कुछ पंक्तियां लिखी है

बचपन हँस खेल बीता,
अपने आँगन मेँ।
पराये घर जाने का दिन,
आया यौवन में।।
यादेँ संजोकर रखकर,
मां.बाप,घर.बार छोड़ गई।
रो.रो कर विदा हो गई,
बेटी आज पराई हो गई।।
देखा नया परिवार,
लेकर उमंग मन में खुशी की।
बीते दो ही चार दिन,
टुट गई दीवार ख्वाहिशों की।।
क्या लाई तू मायके से,
मिले संास ससुर के ताने ।
देख पडोस की बहुँ को ,
लाई अपने साथ चाँदी सोने।।
देने को कुछ ना जुडा,
बाप पर तेरे ।
सीधा समझकर संबंध बनाया,
लडके से मेरे ।।
सुनकर ताने कोसती है,
सिसकती है रोती है ।
देखकर यह व्यवहार,
मन नही मन कुन्टित रहती है।।
क्या करूँ, कैसे करूँ,
कुछ नहीं समझ पाती है।
अन्त में अपना जीवन ,
मौत को दे जाती है।।
बेटी पराई हो जाती है।। image

#ryt by

Gyaan Prakash

#Note - is poetry ko steemit me post Karne ke liye unhone ne mujhe approved Kiya !

Coin Marketplace

STEEM 0.18
TRX 0.24
JST 0.034
BTC 96289.29
ETH 2670.12
SBD 0.43