बढ़ रहे रोहिंग्या मुसलमानों के रहनुमा
देश के लिए सिरदर्द बनते जा रहे रोहिंग्या को भले ही केंद्र सरकार देश से बाहर खदेड़ने में जुटी है, लेकिन सचाई तो यह है कि ये घुसपैठिए देश के अनेक स्थानों पर अपनी पैठ बना चुके हैं या फिर बनाने में लगे हैं। इसका ताजा उदाहरण है हिमाचल प्रदेश। यहां की शांत वादियों में रोहिंग्या घुसपैठियों ने दस्तक दे दी है। मजेदार बात यह है कि यह दस्तक कहीं और नहीं, बल्कि प्रदेश की राजधानी और पर्यटन नगरी शिमला में हुई है। वह भी रोहिंग्या को रोजगार देने के मामले में
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार फोरम द्वारा जारी ‘शरणार्थी कार्ड’ दिखाता एक रोहिंग्या घुसपैठिया, हालांकि यह कार्ड भारत में मान्य नहीं है
सफाईकर्मी के नाते इन लोगों का यहां प्रवेश हुआ है। शिमला नगर निगम द्वारा रोहिंग्या को सफाई कर्मचारी के रूप में काम पर लगाना कई सवाल खड़े करता है। हालांकि ये सफाईकर्मी सरकारी नहीं हैं। एक निजी कंपनी (एन.के.कंस्ट्रक्शन) ने इन्हें रखा है। इस कंपनी को साफ-सफाई की जिम्मेदारी दी गई है। उल्लेखनीय है कि शिमला नगर निगम के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर बार-बार हड़ताल पर जा रहे हैं। ऐसे में नगर निगम ने शहर में घर-घर से कूड़ा-कचरा उठाने और इसे उचित स्थान तक पहुंचाने का काम एन.के.कंस्ट्रक्शन को दिया है। इस कंपनी ने 40 लोगों की नियुक्ति की है, जिनमें पांच रोहिंग्या हैं। यह दीगर बात है कि मामला उजागर होने के बाद फिलहाल जहां ठेकेदार ने इस मामले से हाथ खींच लिया है, वहीं नगर निगम, जिला प्रशासन, जिला पुलिस और अन्य एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए हैं। अब ये सभी सरकारी एजेंसियां मिलकर शिमला में रोहिंग्याओं की दस्तक का स्रोत ढूंढने में जुट गई हैं और सबसे पहली गाज ठेकेदार पर गिरी है। नगर निगम ने जहां ठेकेदार को बिना प्रामाणिकता के बाहरी लोगों को काम पर न रखने और यदि रखे हैं तो उन्हें तुरंत हटाने के फरमान सुना दिए हैं, वहीं सुरक्षा एजेंसियां भी लगातार मामले की खोजबीन में जुटी हुई हैं।
हालांकि इस कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक मनीष कौशल इस बात से अनभिज्ञता प्रकट कर रहे हैं कि उन्होंने किसी रोहिंग्या को नौकरी पर रखा है। कौशल का कहना है कि उनके पास यूएनओ पहचानपत्र के साथ पांच लोग नौकरी के लिए आए थे जिन्हें नौकरी देने की उन्होंने बात कही थी।
हालांकि ये लोग फिलहाल नौकरी पर नहीं हैं। ये पांचों यह कहकर जम्मू चले गए हैं कि वे अपने परिवार वालों को लाने जा रहे हैं और इसके बाद ही काम शुरू करेंगे। लेकिन मामला गर्म होने के बाद ये रोहिंग्या फिलहाल शिमला नहीं लौटे हैं।
इस प्रकरण से शिमला के लोग हैरान हैं। शिमला में रहने वाले संजीव कहते हैं,‘‘यह जांच होनी चाहिए कि रोहिंग्याओं को कौन लोग शरण दे रहे हैं। ऐसे लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।’’ वे यह भी कहते हैं कि भारत में पहले बांग्लादेशी मुसलमान अवैध रूप से आए और अब रोहिंग्या आ रहे हैं। इन्हें हर तरह की सुविधा भी मिल रही है। ये लोग हम भारतीयों का हक मार रहे हैं। इन्हें बाहर करना चाहिए। ये लोग देश के लिए खतरा बन रहे हैं।
एक अन्य निवासी श्याम शर्मा कहते हैं, ‘‘भारत में कुछ ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो जनसंख्या जिहाद कर रहे हैं। ये तत्व भारत से बाहर के मुसलमानों को भारत बुलाकर बसा रहे हैं। इनका एक ही उद्देश्य है भारत में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ाना, ताकि आने वाले कुछ बक्त में देश की सत्ता पर इनका कब्जा हो। समय रहते इनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।’’
संजीव और श्याम जैसी राय रखने वालों की देश में कोई कमी नहीं है। सरकार ऐसे लोगों की भावनाओं को समझे और घुसपैठियों को देश से बाहर करने के लिए ईमानदारी से काम करे।
आंदोलन की धमकी
शिमला में रोहिंग्याओं की मौजूदगी को लेकर लोगों में गुस्सा है। विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अमन पुरी कहते हैं, ‘‘रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों और अन्य प्रवासी मजदूरों का शिमला सबसे सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। इससे यहां की कानून-व्यवस्था पर विपरीत असर पड़ेगा।’’ पुरी का कहना है कि घर-घर से कूड़ा-कचरा उठाने के बहाने शहर में रोहिंग्या की दस्तक सही संकेत नहीं है। इन विदेशियों के विरुद्ध सरकार कार्रवाई करे, अन्यथा विश्व हिंदू परिषद् प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी।
नगर निगम ने झाड़ा पल्ला
शिमला में रोहिंग्या घुसपैठियों की दस्तक भले ही इन दिनों प्रदेश की राजनीति को गर्माए हुए है, लेकिन नगर निगम शिमला रोहिंग्या घुसपैठियों को शहर में नौकरी देने से पल्ला झाड़ रहा है। महापौर कुसुम सदरेट के मुताबिक रोहिंग्या को नगर निगम के तहत सफाई के काम में नौकरी देने की बात सिर्फ अफवाह है। उनका यह भी कहना है कि जो रोहिंग्या दुनिया भर में अपनी क्रूरता के लिए बदनाम हैं, उन्हें शिमला नगर निगम नौरी कैसे दे सकता है?
पुलिस और प्रशासन की टूटी नींद
जानकारों के अनुसार जिला प्रशासन और पुलिस दोनों ने ही प्रदेश सरकार को भेजी रिपोर्ट में फिलहाल शिमला में रोहिंग्याओं की मौजूदगी से इनकार किया है और साथ ही उन लोगों के बारे में जानकारी जुटाने की भी बात की है, जो रोजगार के लिए शिमला आए थे, लेकिन वापस जम्मू चले गए हैं।
शहर में रोहिंग्या घुसपैठियों की मौजूदगी के सामने आते ही आनन-फानन में पुलिस और जिला प्रशासन भी नींद से जागा है। जिलाधीश अमित कश्यप ने बिना प्रामाणिक जानकारी के बाहरी लोगों को निगम में रोजगार न देने के हुक्म जारी किए हैं, वहीं पुलिस अधीक्षक उमापति जमवाल ने भी इसी तर्ज पर एनके कंस्ट्रक्शन कंपनी के कर्ताधर्ताओं को बुलाकर आदेश जारी किए हैं। वहीं प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ने भी इस मामले में जिला प्रशासन और पुलिस से रिपोर्ट तलब की है।
जानकारों के अनुसार जिला प्रशासन और पुलिस दोनों ने ही प्रदेश सरकार को भेजी रिपोर्ट में फिलहाल शिमला में रोहिंग्याओं की मौजूदगी से इनकार किया है और साथ ही उन लोगों के बारे में जानकारी जुटाने की भी बात की है, जो रोजगार के लिए शिमला आए थे, लेकिन वापस जम्मू चले गए हैं।
source.... https://bit.ly/2mvxEPW
Congratulations @ramyadav! You have completed the following achievement on Steemit and have been rewarded with new badge(s) :
Award for the number of upvotes received
Click on the badge to view your Board of Honor.
If you no longer want to receive notifications, reply to this comment with the word
STOP
To support your work, I also upvoted your post!
Do not miss the last post from @steemitboard:
SteemitBoard World Cup Contest - The results, the winners and the prizes