हिन्दू पाकिस्तान और शशि थरूर का हिन्दुओ का भारत वर्ष
कांग्रेस व देश विदेश के लिबर्ल्स के "थिंक टैंक", बहुब्याहित, तथाकथित बुद्धजीवी शशि थरूर ने कल अपनी बौद्धिकता को धार देते हुये, एक नये शब्द का सृजन किया है।
जुल्फ़िया थरूर ने कल भारत के 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणामो का आंकलन करते हुये इस बात पर मोहर लगाई है कि इस चुनाव में भी बीजेपी की ही सरकार बनेगी और नरेंद्र मोदी जी ही प्रधानमंत्री बनेंगे। अब इस सत्य को स्वीकार करते हुये, थरूर कुछ ज्यादा ही जोर लगा बैठे और देशी अंग्रेज़ो, लिबर्ल्स व भारत के मुसलमानों को वह डर बेचने लगे जो दिखने में उनका डर लगता है लेकिन वास्तविकता में वो एक उलटबांसी है।
वैसे तो उन्होंने एक सधे स्क्रिप्ट राइटर की तरह, एक जोरदार डायलॉग मारा की, '2019 यदि बीजेपी फिर वापस आगयी तो हम जिस रूप में भारत का संविधान जानते है वो बदल जायेगा और भारत एक "हिन्दू पाकिस्तान" बन जायेगा।
थरूर महोदय ने जो अपनी जुल्फों को झटका मार कर यह 'हिन्दू पाकिस्तान' शब्द का अविष्कार किया है वो लोगो को यह समझाने के लिये किया है कि 2019 में मोदी जी की सरकार की वापसी का मतलब है कि भारत का संविधान भी बदलेगा और उसके साथ भारत सिक्युलर राष्ट्र को त्याग कर हिन्दू राष्ट्र की तरफ बढ़ जायेगा। अब जब हिन्दू पाकिस्तान की नई शब्दावली का प्रयोग होगा तो यह बहुत स्वभाविक है कि मुस्लिम व सिक्युलर वर्ग में खलबली मचेगी और वे हिन्दू शब्द की वितृष्णा में सियार की तरह हुंया हुंया करेंगे और हिन्दू विरोध में इकट्ठा होंगे। यह होगा तो भाई उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? इसकी प्रतिक्रिया में, जो साफ आज ट्विटर और फेसबुक पर दिख रहा है, कट्टर से कट्टर मोदी विरोधी राष्ट्रवादी व हिंदूवादी भी एक धारा में जुट रहा है।
मैं एक सिरे से इस बात को किनारे लगाता हूँ कि शशि थरूर से कोई भूल हुई है क्योंकि यह सब भूलें होती नही बल्कि करवाई जाती है। जब थरूर ने लिखित स्क्रिप्ट के आधार पर कहा होगा तो उनकी बौद्धिकता हज़ार आंसू रोई होगी लेकिन मरता तो नही क्या करता? यह हिन्दू पाकिस्तान की उलट बांसी थरूर की मुस्लिमो और सेक्युलरो को डराने से ज्यादा, हिन्दुओ के लिये मोदी का संदेश है। यह सन्देश थरूर के मुंह से कहलाया गया है। यह राजनीति है, जहां यह महत्वपूर्ण नही होता कि सही क्या है या गलत क्या है, यहां यह महत्वपूर्ण होता है कि लक्ष्य कैसे पूरा होना है।
मैं जानता हूँ कि बहुत से, खास तौर से, कांग्रेस द्वारा परिपूर्ण किये गये और नोटा के प्रचार में लगे राष्ट्रवादि व हिंदूवादी इसे स्वीकार नही करेंगे लेकिन यह सत्य ही है। आप लोगो को याद हस जब मोदी जी ने स्वच्छ भारत का अभियान चलाया था तब 10 लोगो को उसका 'ब्रांड अम्बेसडर' बनाया था और उसमे शशि थरूर का नाम देख कर हज़ारों मोदी समर्थको को ह्रदय घात हुआ था और मोदी जी के इस निर्णय पर बल भर गरिया गया था। उस वक्त(मैं ने टाइम लाइन चेक कर ली है) मैं इस निर्णय को न समझने के बाद भी, प्रतिक्रिया देने में चुप रहा था। उस वक्त यह जरूर समझ गया था कि जो व्यक्ति अपनी पत्नी की हत्या में इस बुरी तरह संदेह में फंसा है उसको स्थापित करने के पीछे कोई गहन शतरंजी चाल है जो मैं नही समझ पा रहा हूँ।
आज स्वच्छता अभियान से स्थापित व पत्नी की हत्या के प्रत्यक्ष दोषी होने से बचाये जाने की कीमत शशि थरूर से कीमत वसूल कर ली गयी है। आज मोदी जी 2019 के बाद कौन सा पांचवा गियर लगायेंगे यह थरूर से बुलवा दिया गया है। आज यह भी सन्देश दे दिया गया है कि 'नोटा' की दुकान को उजाड़ कर, मोदी जी को संविधान के बदलाव करने वाला जनादेश दो। यहां यह याद रखिये की मोदी जी इस बात को कई बार कह चुके है कि हमेशा संविधान के प्रति पूरी तरह आस्थावान रहेंगे और वे उसके विरुद्ध कोई काम नही करेंगे। यह बात कई बार संसद से लेकर बाहर तक कह चुके है। इसलिये थरूर ने मोदी जी की तरफ से सन्देश भिजवाया है कि आप बदलाव चाहते है तो बदलाव करने वाला जनादेश दीजिये। लोकतंत्र के माध्यम से ही वो, शाह बानू केस के उदाहरण को फिर से दोहराना चाहते है।
आज मेरी एक बात गांठ बांध लीजियेगा की पुष्कर सुनन्दा की हत्या में सीधे शामिल होने से बचाये जाने की कीमत पर थरूर आगामी 2/3 महीने में इस तरह की बौद्धिक बात करते रहेंगे और मुस्लिम व सेक्युलर वर्ग को ज्ञान देते रहेंगे और हिंदुओं को भविष्य को स्वर्गिक संभवना के द्वार का रास्ता दिखाते रहेगें । mgsc# india# #जोगेन्द्र#