Time to become Media Literate
सच सिर्फ उतना ही नहीं होता जितना आपको बताया जाये। वो झूठ भी हो सकता है या बताये गए सच से और ज्यादा भी। इसीलिए आज के दौर में सभी का मीडिया साक्षर होना बेहद जरूरी है।
मीडिया साक्षरता से अभिप्राय दर्शकों ,पाठकों और श्रोताओं की उस क्षमता से है जिसमें वो मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री को विश्लेषित कर सकें ,मूल्यांकन कर सके तथा एक सही निष्कर्ष तक पहुंच सके।
अक्सर हम मीडिया द्वारा बताई गई बातों को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेते हैं। मीडिया द्वारा बताई या दर्शाई गई बात के कई उद्देशय होते हैं। उदाहरण के लिए आजकल पेड जर्नलिज्म का दौर है, तो ऐसे कई कार्यक्रम हैं जो पैसे लेकर तैयार किये जाते हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देशय किसी वस्तु ,सेवा या व्यक्ति की सकारात्मक छवि निर्माण कर उसे विज्ञापित करना होता है।
ऐसे में दर्शक को अपनी ही सूज बुज से ये समझना होता है कि कौन सी सामग्री पेड है, कौन सी काल्पनिक है तथा कौन सी तथ्यों पर आधारित है। ये सूज बुज ही उसे मीडिया साक्षर बनाती हैं।
वर्तमान समय में ऐसी बहोत सारी फेक (झूठी) विषयवस्तु सोशल साइट्स या टेलीविज़न या दूसरे माध्यमों से प्रचारित-प्रसारित होती रहती हैं। सूचनाओं की इस भीड़ में ये पता लगाना बेहद कुशलता का ही काम है कि
कौन सी सूचना सच्ची है तथा कौन सी झूठी है। अतः मीडिया साक्षरता लोगों को मीडिया विषयवस्तु की ठीक तरीके से चयन करने की योग्यता प्रदान करती है।
इसका सबसे प्रचलित उदाहरण हमें सोशल साइट्स पर देखने को मिलता है। हम बगैर किसी मैसेज की सत्यता को जाने उसे आगे से आगे फारवर्ड करते रहते हैं। हो सकता है कि वो सूचना अधूरी हो या अफवाह हो, तो ऐसे में उस सूचना को ग्रहण करने वाला भ्रम की स्थिति में रहता है या उसको सच मान बैठता है।
इसीलिए मीडिया साक्षर होना हमारे लिए जरूरी है।
संचार के क्षेत्र में बुलेट थ्योरी ये कहती है कि मीडिया लोगों पर अपना असर एक बुलेट की तरह करता है। उसके द्वारा बताई गई बातों का आम लोगों पर सीधा असर होता है। अतः मीडिया साक्षरता लोगों को ये बताती है कि मीडिया का किस तरह से और कैसे उपयोग करना है।
in pure hindi langauage