Brief Introduction about Mass Media in India
पत्रकारिता को अगर सूचनाओं का प्रचार-प्रसार माना जाये तो इस सन्दर्भ में देवऋषि नारद पहले पत्रकार हैं। आदिपत्रकार देवऋषि नारद को भारतीय पौराणिक साहित्यों और कथाओं में सूचनाओं को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाने और अपनी चरपट बुद्धि से समस्याओं का समाधान निकालने वाले के तौर पर पेश किया गया है।
आज के समय में हमारे पास सूचना प्राप्त करने के जितने साधन मौजूद हैं, पुराने समय में ऐसा नहीं था। सूचना को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाने के लिए लोगों ने अपने स्तर पर ही पारम्परिक तरीके विकसित कर रखे थे जैसे मियादी करवाना, कबूतर के माध्यम से सन्देश दूसरी जगह भेजना, राजदूत के माध्यम से सन्देश भेजना आदि इसमें शामिल थे। पुरानी फिल्मों का एक डायलॉग हमें अभी भी याद होगा जिसमे एक आदमी गले में ढोल लटकाये जोर-जोर से चिल्लाता हुआ आता है-----सुनो. . . . . . . सुनो. . . . . . .सुनो. . . . . .और फिर वो अपनी बात कहता है। यह भी सूचना देने का एक पारम्परिक तरीका ही था।
प्रिंटिंग प्रेस के आगमन से सूचना-संचार के क्षेत्र में और क्रांति आई। जोनिस गुटेनबर्ग ने सन 1440 में पहली गतिशील प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किया। प्रिंटिंग प्रेस जैसी तकनीक को भारत में सन 1550 के आस पास पुर्तगालियों द्वारा लाया गया था। शुरुआत में इसाई मिशनरियों द्वारा अपने धार्मिक प्रचार-प्रसार के लिए इसका प्रयोग किया गया। मगर पत्रकारिता के लिए इसका इस्तेमाल काफी बाद में हुआ। 29 जनवरी 1780 को भारत के पहले समाचार-पत्र बंगाल गज़ट की शुरआत हुई, जोकि अंग्रेजी भाषा का साप्ताहिक समाचार-पत्र था। इसके संपादक एक ब्रिटिश व्यक्ति जेम्स अगस्टस हिक्की थे। इस समाचार-पत्र में ब्रिटिश सरकार की आलोचना में काफी लेख प्रकाशित होते थे, जिस कारण इस समाचार-पत्र को ब्रिटिश शासन ने जल्दी ही बंद करवा दिया।
इसके बाद कई ऐसे समाचार पत्र भी प्रकाशित होने लगे जो ब्रिटिश शासन के पक्ष में बोलते थे। मगर कुछ ऐसे भी समाचार-पत्र प्रकाशित होने लगे जो ब्रिटिश सरकार की आलोचना करते थे। उपनिवेशवाद बनाम राष्ट्रवाद का यह दौर था। इसी बीच 30 मई 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा भारत में पहले हिंदी समाचार-पत्र उदन्त-मार्तण्ड की शुरुआत की गई। उदन्त मार्तण्ड का शाब्दिक अर्थ 'उगता हुआ सूरज' होता है। यह भी एक साप्ताहिक समाचार-पत्र था।
उस दौर से लेकर आज तक समाचार-पत्रों की संख्या, विषयवस्तु और बनावट में काफी अंतर आ गया है। समाचार-पत्रों पर बाजारीकरण का प्रभाव साफ देखा जा सकता है। भारत में हर रोज 82,237 समाचार-पत्र छपते हैं( आकड़े-RNI ) , जिनकी प्रसार संख्या 32,92,04,841 है।
स्वतंत्रता मिलने से पहले ही अंग्रेजी शासन के अधीन भारत में रेडियो की शुरआत हो चुकी थी। 1920 के दशक में ही भारत में रेडियो प्रसारण की शुरआत कर दी गई। सन 1936 में रेडियो सेवा को भारत में ऑल इंडिया रेडियो का नाम दिया गया, परन्तु 1957 में इस नाम को बदलकर आकाशवाणी कर दिया। नब्बे और बीस के दशक में FM चैनल अस्तित्व में आये, जिस कारण रेडियो की पहुंच तथा लोकप्रियता और ज्यादा बढ़ गई।
भारत में टेलीविज़न की शुरआत के दौरान ऐसा माना जाने लगा कि अब टीवी रेडियो की जगह ले लेगा।आज़ाद भारत में टीवी ने अपनी आँखे खोली थी। 15 सितंबर 1959 को भारत में टेलीविज़न यानि दूरदर्शन की शुरुआत हुई। शुरआती दिनों में दूरदर्शन पर केवल एक या दो घंटे के ही प्रोग्राम आते थे। पहला कार्यक्रम कृषि दर्शन था। धीरे-धीरे दूरदर्शन अपने कार्यक्रमों और पहुंच को बढ़ाता गया। 25 अप्रैल 1982 को एशियाड गेम्स के दौरान दूरदर्शन ने अपने रंगीन प्रसारण की भी शुरआत कर दी। 80 के दशक में आये धारावाहिक हम लोग, रामायण और महाभारत आदि ने दूरदर्शन की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए। 90 का दशक भारतीय टीवी के इतिहास का सबसे खास वक्त था जब केबल टीवी के साथ-साथ निजी चैनलों की भी शुरआत हुई। 2 अक्टूबर 1992 को भारत के पहले निजी टीवी चैनल ज़ी टीवी की शुरआत हुई। इसके बाद बहुत सारे दूसरे निजी टीवी चैनल भी अस्तित्व में आये जिनमे आज तक, सन टीवी, स्टार प्लस आदि प्रमुख थे। इतने सारे निजी टीवी चैनलों के अस्तित्व में आने से दूरदर्शन की लोकप्रियता और दर्शक-संख्या में कमी आती गई।
इस समय तक भारत में 857 टीवी चैनल हैं (आंकड़े-विकिपीडिया) , जिनमे से 184 पे चैनल हैं। इन्हीं में से लगभग 350 न्यूज़ चैनल हैं, जबकि 500 के करीब दूसरे तरह के चैनल है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 18 करोड़ लोगों के पास ही टीवी सेट हैं। 78 करोड़ लोग भारत में टीवी देखते हैं, जिनमे से 22 करोड़ लोग ही ऐसे हैं जो न्यूज़ देखते हैं।
अख़बार, रेडियो और टीवी के बाद वेब पोर्टल, सोशल साइट्स या इंटरनेट भी सूचनाएं प्राप्त करने का एक माध्यम है। इस नए माध्यम को ही NEW MEDIA कहा जाता है। NEW MEDIA में इंटरनेट की वे सभी सेवाएं शामिल हैं, जिनमे ई-मेल, वेब साइट्स, ब्लॉग, विकिपीडिया, सोशल साइट्स, ई-पेपर, ऑनलाइन वीडियो आदि चीजें आती हैं। एक तरह से यह NEW MEDIA सभी माध्यमों का कन्वर्जेन्स रूप ( मिला जुला रूप ) है। आप ई-पेपर के द्वारा अख़बार पढ सकते हैं, ऑनलाइन रेडियो सुन सकते हैं और ऑनलाइन टीवी भी देख सकते हैं। दूसरे माध्यमों की तुलना में NEW MEDIA ज्यादा पारस्परिक (INTERACTIVE) भी है। यहां आसानी से सामने वाले को तुरंत प्रतिक्रिया ( INSTANT FEEDBACK ) दी जा सकती है।
भारत में इंटरनेट सेवा 15 अगस्त 1995 में तब आरंभ हुई जब विदेश संचार निगम लिमिटेड ने अपनी टेलीफोन लाइन के जरिये दुनिया के अन्य कंप्यूटर से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया। सन 1998 में भारत सरकार ने निजी कंपनियों को भी इंटरनेट सेवा के क्षेत्र में आने की अनुमति दे दी। इसी साल देश की पहली साइट indiaworld.com आरंभ हुई। रेडिफ डॉट कॉम और इंडिया टाइम्स डॉट कॉम जैसी साइट्स भी इसके बाद शुरू कर दी गई। ( स्त्रोत-वेबदुनिया )
जन माध्यमों ( MASS MEDIA ) से सम्बंधित अगर आपको अब भी कुछ संदेह है, तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं।
this is the history of journalism in India as well as besics about mass media in India