"तेरे धोखे से भी "..
कैसे भूल जाऊँ तुम्हें
तुम हकीकत से ज्यादा
सपनों में प्यार करती हो
तकिए पर सोने नहीं देती
मीठी-मीठी बातें कर
सर गोद में रख सहलाती हो
गहरी नींद सुलाती हो,
जब नींद टूटती है
तुम पलंग पर
खुद को जमीन पर पाता हूँ
कैसे भूल जाऊं तुम्हें
तुम तो सपनों में भी
धोखा करती हो,
और मैं,
तेरे धोखे से भी
बेपनाह प्यार करता हूँ।