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RE: मन का माधुर्य : सेवा धर्म ( अंतिम भाग #२) | The melody of mind: service religion (Final Part # 2)
निस्वार्थ भाव से की गयी सेवा हमेशा आनंदमय होती है ,और स्वार्थ के लिए की गयी सेवा हमेशा दुःख देती है. जब हमारी इच्छा पूरी नहीं होती.
Bilkul sahi , matlab se help karna seva nahi doortha kahalayegi .
Aggreed