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RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (भाग # २) | The Life of Religion : Modesty (Part # 2)
आज के युग में जियादातर लोग हर चीज में वजह खोजते हे हकीकत ये हे की गुरु सदेव ने स्वार्थ अपना योगदान देता हे देश समाज और लोगो के विकास में फिर भी लोग समज नहीं पाते आज के युग में कोई अगर किसी सन्त या ऋषि को देखते हे तो सिर्फ यही सोचते ये की ये कुछ मानंगे आ गए कोई भी उनके योगदान का विचार नहीं करता यही ऋषि मुनि हे जो हमे हमारी संस्कृति से जोड़ते हे
बात तो आपकी सही ही है कि लोग हर चीज में वजह ही खोजते है कि ये ऐसा क्यों कह/कर रहा है इसका इसमें क्या स्वार्थ है इत्यादि. यही आज की वास्तविकता है. परन्तु फिर भी हमें अपने अच्छे कर्म करते रहना है जिसे जो सोचना है सोचे.
जी हमे अपने अछे कार्य को कभी नहीं रोकना चाहिये कियो की इस संसार के बुरे लोग तो चाहते ही यही के की अछे काये रुक जाए.