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RE: जैन दर्शन : परमात्मपद-प्राप्ति की सामग्री - भाग # १
@kuberman
आप बिल्कुल सही सोच रहे है, जरूरतमंद लोगों की सहायता करना ही सबसे बड़ी सेवा / आराधना है.
भक्ति और निःस्वार्थ भाव से की सेवा ही हमें परमात्मा में लीन कर सकती है.