मानवता संरक्षण का अस्त्र : अहिंसा (भाग # ४ ) | The War of Humanitarian Conservation : Non-violence (Part # 4)

in #life6 years ago

मानवता संरक्षण का अस्त्र : अहिंसा (भाग # ४ ) | The War of Humanitarian Conservation : Non-violence (Part # 4)

पिछली तीन पोस्ट से आगे बात करते है -

ऐतिहासिक प्रमाणों द्वारा सिद्ध इस बात (अहिंसा) को अनेक पाश्चात्य विद्वानों ने स्वीकार किया है । यह बताने का तात्पर्य यह है कि अहिंसा और जैन धर्म अनादिकाल से है और इस धर्म का आधार स्तम्भ है ।
ahinsa.jpg

अहिंसा का महत्त्व, अनिवार्यता तथा उपादेयता

विश्व इतिहास को उठाकर देखिए, हम पायेंगे कि धर्म के नाम पर धार्मिक असहिष्णुता के कारण जितनी हिंसा हुई है, असमर्थ लोगों पर जितने अत्याचार हुए है उतने किसी अन्य कारण से नहीं । कितने खेद का विषय है कि धर्म मनुष्य को आंतरिक शक्ति एवं आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है, किन्तु उसी का दुरूपयोग करके बौद्धिक हिंसा का आश्रय लेकर मनुष्य ने स्वयं अपना तथा समस्त मानव जाति का घोर अकल्याण किया है । ऐसी धार्मिक असहिष्णुता के कारण भीषण हिंसक कृत्य न केवल हमारे ही देश में, बल्कि समस्त विश्व में होते रहे है । इसके स्थान पर यदि मानव ने अहिंसा की उपादेयता को समझा होता तो ये भीषण हिंसक कृत्य न हुए होते और मानव बड़ा सुखी होता ।

जैन दर्शन में अहिंसा सर्वोपरि है । हम उसे जैन दर्शन का, जीवन का पर्यायवाची भी कह सकते हैं । भगवान महावीर ने स्पष्ट कहा है कि जो तीर्थंकर पूर्व में हुए हैं, वर्तमान में हैं तथा भविष्य में होंगे, उन सबने अहिंसा का प्रतिपादन किया है । अहिंसा ही ध्रुव तथा शाश्वत धर्म है । स्वार्थी लोग जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादित अहिंसा के सम्बन्ध में लोगों में भ्रम उत्पन्न करते हैं, उसे अव्यवहारिक बताते हैं, कहते हैं कि यह तो मात्र वैयक्तिक बात है । अत: सामाजिक एवं राजकीय कार्यों के लिए अनुपयोगी है । वास्तविकता यह है कि ऐसा कहने वाले लोगों ने जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादित अहिंसा का पूर्ण अध्ययन किया ही नहीं है, न उसे समझा ही है । यदि वे अहिंसा के अर्थ को, उसके महत्त्व को ह्रदयंगम कर पाते, यह समझ सकते कि मन-वचन-काया से मनुष्य को हिंसा से दूर रहना चाहिए तो आज संसार की ऐसी दयनीय स्थिति न होती एवं विश्व विनाश के कगार पर जा खड़ा न होता ।

हमारे देश के जीवन पर अहिंसा की जो छाप दिखाई देती है वह जैन दर्शन की ही देन है । सामूहिक प्रश्नों के निराकरण हेतु अहिंसा का प्रयोग हमारे देश में बहुत सफल रहा है और समस्त विश्व के लिए पथ-प्रदर्शन करने वाला है । यह कौन नहीं जानता कि महात्मा गाँधी ने एक ऐसी महाशक्ति के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी जिसके साम्राज्य में कभी सूर्यास्त ही नहीं होता था । उस लड़ाई में भी विजय किसकी हुई थी ? हमारी – हमारी अर्थात् ‘अहिंसा’ की । गाँधी नहीं रहे और संसार फिर से अहिंसा के महत्तव को भूलने लगा है । परिणाम हमारे सामने दिखाई देने लगे हैं । विश्व के स्वार्थी, अदूरदर्शी, अधर्मी राजनेता, समस्याओं के निराकरण हेतु मिल-बैठकर अहिंसक भाव से प्रश्नों को हल करने के स्थान पर हिंसक वातावरण का सृजन कर रहे हैं तथा अशांति और सर्वनाश को आमंत्रित कर रहे हैं । इस विकट वेला में जैन दर्शन की अहिंसा ही मानवता का त्राण करने में समर्थ हो सकती है ।

मन-वचन-काया इन त्रिविध योगों से किसी को भी त्रिकरणपूर्वक कष्ट न पहुँचाना ही अहिंसा का वास्तविक लक्षण है । कुछ लोग प्राणों के अव्यपरोपण अर्थात् अनतियात को ही अहिंसा कहते हैं परन्तु सूक्ष्म दृष्टि से सांगोपांग मनन करने पर यही निष्कर्ष निकलता है की केवल प्राण अव्यपरोपण को ही अहिंसा नहीं कहते हैं प्रत्युत प्राणियों को किंचित् मात्र भी किलामना नहीं पहुंचाना ही अहिंसा है । प्रतिपक्ष कितना भी शक्तिशाली हो, उसके प्रतिकार का सर्वोतम साधन अहिंसा ही है । अन्य किसी शस्त्र की आवश्यकता ही नहीं । अहिंसा का अमोघ अस्त्र विजय प्रदान करने वाला है – अन्तिम विजय, स्थायी विजय, आंतरिक आत्म-विजय ।

इससे जुड़ी पिछली तीन पोस्टों का जुड़ाव है (the link of last three parts of this topic are) -

  1. https://steemit.com/life/@mehta/or-the-war-of-humanitarian-conservation-non-violence-part-1
  2. https://steemit.com/life/@mehta/or-the-war-of-humanitarian-conservation-non-violence-part-2
  3. https://steemit.com/life/@mehta/or-the-war-of-humanitarian-conservation-non-violence-part-3

The English language translation from help of Google language tool as below:

Talk further with the last three posts -

Many western scholars have accepted this fact (non-violence) by historical evidence. To indicate this is to say that non-violence and Jainism are from the non-existent and this is the pillar of religion.

Importance of Nonviolence, Essentiality and Viability

Raise the world history, we will find that the violence that has occurred due to religious intolerance in the name of religion, not to any other reason as much atrocities done on people with disabilities. How sad is the fact that religion provides inner power and spiritual advancement to man, but by misusing it, the people have taken great excellence of self and all mankind by taking shelter of intellectual violence. Due to such religious intolerance, gruesome violence has been happening not only in our own country, but also in the whole world. In its place if the human had understood the superiority of non-violence, then this would have been a violent act of non-violence and the human being would be happy.

Non-violence is paramount in Jain philosophy. We can also call it Jain philosophy, synonyms of life. Lord Mahavir has clearly said that those who have lived in the past, are present and will be in the future, all of them have rendered non-violence. Nonviolence is only Dhruv and eternal religion. Selfish people create illusions among people in the context of non-violence by Jain philosophy, they call it impractical, say that this is only personal matter. Therefore, it is useless for social and political work. The reality is that people who say such a thing have not studied the non-violence of the non-violence, or have understood it by Jain philosophy. If they could understand the meaning of non-violence, its significance to heart, it should be understood that man should have avoided violence from the word of the mind, then today world will not have such a pitiful state and the world would not have stood on the verge of destruction .

The impression of non-violence on the life of our country is only a manifestation of Jain philosophy. The use of non-violence for resolving mass questions has been very successful in our country and is going to be a pathway for the whole world. Who does not know that Mahatma Gandhi fought against such a super power that never had sunset in his empire? Whose victory was fought in that fight? Our - our meaning of 'non-violence' Gandhi did not remain and the world again started forgetting the importance of non-violence. The results have started to appear in front of us. The world's selfish, indisputable, unrighteous politicians are creating a violent atmosphere instead of resolving the problems by resolving problems by resolving problems and inviting unrest and holocaust. Nonviolence of Jain philosophy can be able to preserve humanity in this veta garga.

Man-vidya-kaya This is the real symptom of non-violence, not to trivialize any one with triple forms. Some people are called non-violence, ie non-violence, but nonetheless, it is the conclusion that after considering meditation in a subtle way, that only life is not called non-violence, it is non-violence that is not to give alms to mere beings. No matter how powerful the opposition is, its best means of resistance is nonviolence. No other weapon is needed. The unimpressive weapon of non-violence is victorious - the last victory, the permanent victory, the inner self-conquest.

अहिंसा Steeming

Footer mehta.gif

Sort:  

आपका एक एक शब्द सच है, आजकल आतंकवाद भी धर्म के नाम पर सिर्फ हिंसा कर रहा है।
लोगों के मन से अगर हिंसा का भाव खत्म करना है तो उन्हें धर्म को मानने की जगह समझना चाहिए।

Posted using Partiko Android

@mehta युद्ध वर्जित है। संयुक्त राष्ट्र स्पष्ट रूप से बताता है कि विभिन्न राज्यों के खिलाफ सत्ता का खतरा या उपयोग गैरकानूनी है। 1 9 45 के बाद से, युद्ध कभी भी राज्यों के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए एक संतोषजनक तरीका नहीं रहा है। तो अगर चार्टर ने सार्वभौमिक संबंधों में ड्राइव करने के लिए कार्रवाई की योजना को सीमित कर दिया है, तो सुसज्जित संघर्ष (या युद्ध) और उनके सामानों के प्रबंधन के विश्वव्यापी दिशानिर्देशों पर चर्चा क्यों करें?

@mehta yes,true.these days politician for their own benefit raise the environment of violence.the main cause of these is the prestige and money.only non-violence is the cure for this.thanks for sharing.

Victory lies in our hands, in our heart and in our inner mind. Lets be victorious to achieve the best.
Thanks for the best wonderful write up.

Right brother (bro)

violence gives rise to violence, I am against any kind of violence, I am not religious, I do not like every religion, they make you argue with other religions, it's stupid! it is worth being a free man and believing in what you want and not in any dogma written out of nowhere

Non-violence has been given top priority in ancient Indian philosophy and culture. This is the main principle of Jainism. 108 types of violence have been reported in Jain literature. The process of changing violence into non-violence is called humanity.

Posted using Partiko Android

s hi gyen or shi vichar hi manwe ko acha banate h ............
thanks to good nolege

Thanks this is the great post i like you

Mehta Saab Kahan ho Reply karo kuch kaam karts hai saath mein

Coin Marketplace

STEEM 0.19
TRX 0.18
JST 0.033
BTC 89688.42
ETH 3103.55
USDT 1.00
SBD 2.80