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RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (भाग # २) | The Life of Religion : Modesty (Part # 2)
युरिया खाते हैं सहाब गुरू भी और शिष्य भी
अब तो बस न के बराबर है अच्छे गुरू और शिष्य
युरिया खाते हैं सहाब गुरू भी और शिष्य भी
अब तो बस न के बराबर है अच्छे गुरू और शिष्य
सत्य वचन है.
न के बराबर ही सही है तो.