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RE: प्रेम का महत्त्व (भाग #२) | Importance of Love (Part #2)
@mehta
लोग कहते है जिसे हद से ज्यादा प्यार करो , वो प्यार की कदर ही नहीं करता ,पर सच तो यह है ...प्यार की कदर जो भी करता है उसे कोई प्यार ही नहीं करता
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हमें कदर से क्या करना है? प्यार तो है ही देने की चीज, चाहे सामने वाला उसकी कदर करे या नहीं. जिससे हमें सच्चा प्यार होता है फिर ये नहीं देखते है कि वो क्या कर रहा है बस प्रेम करते है.
बात तो आपने सही कही जी शायद आपको ज्यादा मालूम होगा क्यूंकि आप बड़े हो परन्तु सच यही है ,प्यार किसी किसी के नसीब में होता है , क्यूंकि हर कोई प्यार करे यह संभव ही नहीं , अगर कोई आपसे बात भी करता है तो भी मतलब के , बिना मतलब के कुछ नहीं है इस दुनिआ में
आप बात कर रहे है कि क्या हो रहा है, और मैं बात कर रहा हूँ कि क्या सही है और क्या होना चाहिए, बस यही फर्क है. इसी फर्क को समझे तो दोनों बातें ही सही है.
जो होना चाहिए प्रेम का मतलब वही है. कौन कैसे समझ रहा है ये वो जाने. गलत करने से, चीज गलत नहीं हो जाती वो तो वही रहती है. किसी के कुछ करने पर कोई रोक थोड़ी है. परन्तु हम सही और गलत तो समझ सकते ही है.
और एक बात बड़े और छोटे होने से बात सही या गलत नहीं होती है. बात तो वही रहती है चाहे कोई माने या न माने.