Brave leaders of the country 2

in #jay6 years ago

Shastri ji remained a minister in the Nehru Council for twelve years
And the Prime Minister of the country for eighteen months but they
Any critic that worked with integrity and devotion
Did not get the opportunity to comment on his work commentary
When he was railway minister, many rail accidents happened in the opposition in the Parliament
A member of the party has said that the responsibility of these accidents is not to the railway employees but the Railway Minister Shri Lal
Bahadur is on Shastri and he should give his resignation letter.
Give it Shastri ji accepted the charge of the said member immediately
Gave up resignation letters. Similarly, in 1963, the Congress of Bhubaneswar
When the Congress Party falls on the situation
Nehru ji got up and told that collective leader
How to save the Congress? In their reply Madras
The then Chief Minister, Mr. Kamaraj Nadar suggested that
The sacrifice in the Congress has ended and the Congress is alive
Leaders need to sacrifice for keeping. If today
Leading leaders give up resignation letters from cadres
Work from the Congress then the Congress can be saved. Their
To say that India's Home Minister Mr. Shastri stood first
By announcing his resignation letter. After some days
When Nehru ji could not handle his absence
Compulsion to make Shastri ji again without portfolio
Have had In the life span of Nehru, when the question arose
Who is Nehru? Nehru ji in the last days and Nehru
Shastri's proximity became the answer to the public's question. Nehru
Good luck to be his successor after Jee's death
Shastriji also received the same.
When Shastri took over as Prime Minister, many in the country
Problems were open mouth open, but they were one after the other
Tried to solve They all of the opposition parties
Leaders consulted on each problem, while Nehru ji
Did not take any opposition to the opposition leader. Of Shastri ji
Opposition to support the opposition against opposition leaders
felt . Shastri ji as a capable politician
Popularity started to grow. Within a year, Shastri ji did the country
Almost all the critical problems have been controlled. Scribe
G declared that India would be self-dependent for two years.
Will talk about India's prosperity, progress and self reliance.
To the West, and especially to China and Pakistan
Started shivering. China directly and western countries are indirectly
In the form of inciting Pakistan to invade India.



शास्त्री जी बारह साल तक नेहरू मंत्री मण्डल में मंत्री रहे
और अठारह महीने तक देश के प्रधानमंत्री परन्तु उन्होंने इतनी
निष्ठा और निष्काम भाव से कार्य किया कि किसी भी आलोचक
को उनके कार्य पर टीका टिप्पणी करने का अवसर नहीं मिला।
जब वे रेलवे मंत्री थे कई रेल दुर्घटनाएं हुई उस पर संसद में विरोधी
दल के किसी सदस्य ने यह कह दिया कि इन दुर्घटनाओं का उत्तरदायित्व रेलवे कर्मचारियों पर नहीं बल्कि रेलवे मंत्री श्री लाल
बहादुर शास्त्री पर है और उन्हें चाहिए कि अपना त्याग पत्र दे ।
दें । शास्त्री जी ने उक्त सदस्य का आरोप स्वीकार करते हुए तुरन्त
त्याग पत्र दे दिया । इसी प्रकार सन् 1963 में कांग्रेस के भुवनेश्वर
अधिवेशन में जब कांग्रेस पार्टी की गिरती हुई स्थिति पर विचार
हो रहा था तो नेहरू जी ने उठकर कहा कि एकत्रित नेता बताएं
कि कांग्रेस को कैसे बचाया जाए? उनके उत्तर में मद्रास के
तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कामराज नाडार ने सुझाव दिया कि
कांग्रेस में त्याग भावना समाप्त हो गई है और कांग्रेस को जीवित
रखने के लिए नेताओं के त्याग की आवश्यकता है । यदि आज
उच्च कोटि के नेता गद्दियों से त्याग पत्र देकर निष्काम भावना
से कार्य करें तो कांग्रेस को बचाया जा सकता है। उनका यह
कहना था कि भारत के गृहमंत्री श्री शास्त्री ने सबसे पहले खड़े
होकर अपने त्याग पत्र की घोषणा कर दी । थोड़े दिनों के पश्चात
जब नेहरू जी उनकी अनुपस्थिति में काम नहीं संभाल सकें तो
विवश होकर शास्त्री जी को पुनः बिना विभाग का मंत्री बनाना
पड़ा । नेहरू जी के जीवन काल में जब यह प्रश्न उठता था कि
नेहरू के बाद कौन ? तो नेहरू जी के अन्तिम दिनों में नेहरू और
शास्त्री की निकटता जनता के प्रश्न का उत्तर बन गई थी । नेहरू
जी की मृत्यु के पश्चात उनका उत्तराधिकारी बनने का सौभाग्य
भी शास्त्री जी को ही प्राप्त हुआ ।
जब शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री पद संभाला तो देश में अनेक
समस्याएं मुंह खोले खड़ी थीं परन्तु उन्होंने एक के बाद दूसरी
को सुलझाने का प्रयत्न किया । उन्होंने सब विरोधी दलों के
नेताओं से प्रत्येक समस्या पर परामर्श लिया जबकि नेहरू जी
किसी विरोधी नेता को मुंह नहीं लगाते थे । शास्त्री जी के इस
रवैये से विरोधी नेताओं के विरोध की अपेक्षा उन्हें समर्थन मिलने
लगा । एक सकुशल राजनीतिज्ञ के रूप में शास्त्री जी की
लोकप्रियता बढ़ने लगी । साल भर में ही शास्त्री जी ने देश की
लगभग सभी विकट समस्याओं पर नियंत्रण कर लिया । शास्त्री
जी ने घोषणा कर दी कि भारत दो वर्ष तक आत्म निर्भर हो।
जायेगा ।भारत की समृद्धि, प्रगति तथा आत्म निर्भर होने की बात
पश्चिमी देशों को और विशेषकर चीन और पाकिस्तान को
खटकने लगी । चीन ने प्रत्यक्ष रूप से और पश्चिमी देशों ने परोक्ष
रूप से पाकिस्तान को भारत पर आक्रमण करने के लिए उकसाया ।



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(Image source link: google.com)
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