Indian Judicial System

in #india7 years ago (edited)

स्टीमीट के साथियों को मेरा नमस्कार ।

मैं कोई लेखक या कोई पत्रकार नहीं हूं- एक आम इंसान हूँ और आम इंसान की ही भावनाओं को सरल भाव से व्यक्त करता हूँ ।



15.1.2018





                      "कानून , तू वाकये ही अंधा है "



कुछ दिनों से सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर अखबार भरे पड़े हैं ।

कुछ भी लिखने को बाकी नहीं रहा।

भगवान के इंसाफ के बाद अगर किसी भारतबासी को किसी इंसाफ पर भरोसा है तो वो है  भारत की उच्चतम न्यायालय का इंसाफ।

लेकिन राजनेता और राजनीति इस मंदिर को भी धर्मशाला बनाने में लगे हुए हैं।

काफी हदतक तो यह लोग अपने मकसद में कामयाब हो चुके हैं लेकिन डैमेज कंट्रोल करना है तो कुछ सख्त कार्यवाई करनी होगी।

कोई भी व्यक्ति बिना कुछ समझे विचारे आजकल कोई न कोई ड्रामा करके सुर्खियों में बने रहना चाहता है , जो कि अच्छी बात नहीं है।

अगर न्यायालय भी राजनेताओं व सरकार के इशारों पर काम करने लगे तो इसका इंसाफ भी खुदा ज़रूर करेगा।

अगर न्यायलय प्रतिकिर्या में कहीं पर भी कोई राजनीतिक हस्तक्षेप है और कोई मंत्री या प्रधान मंत्री इसका नजायज फ़ायदा उठा रहे हैं तो भड़ास तो बाहर आयगी ।

आप कितने भी देश भगत क्यों न हों गलतियां तो होंगी ही , विपक्ष उन्हीं गलतियों की तलाश में रहता है। कब किस गलती का कहाँ उपजोग करना है , यही सही राजनीतिक सलाहकार का काम है। अगर सत्ता पाने के लिए इन गलतियों को साज़िश का हिसा बनाकर देश की व्यवस्था व अर्थ व्यवस्था से खिलवाड़ किया जाए तो यह अशोभनीय होगा।



16.1.18



आज अखबारों में आ गया कि "सब ठीक हो गया है" ।

किसी पर कोई कार्यवाई नहीं होगी ।

यह अंदरूनी मामला है।

वाह ! क्या बात है -

अगर अंदरूनी था तो बाहर कैसे आ गया ?

गहराई से समझो तो सब समझ आ गया है जनता को।

जो शक का धुआं इन्होंने फैलाना था - वो फैला चुके।

जो वो करना चाहते थे उसे बखूबी कर गए।

अब अगर  - कुछ और बाहर न आ जाये - इस बात का डर है तो इन चार लोगों पर कोई कार्रवाई करनी बनती ही नहीं। शायद इसी लिए हो भी नहीं रही ।



अगर यह झूढ बोल रहे हैं और अराजकता फैला रहे हैं तो यह Criminal Offence है।



एक आम इंसान ने अगर ऐसा किया होता तो जो उसकी सजा बनती है वो इन पर भी लागू होनी चाहिए। बाकी जनता को इन्होंने कानून का असली चहरा दिखाने की जो कोशिश की है उसकी सफाई अगर जनता को नहीं मिली तो जनता क्या समझें -



"की  - सब ठीक है - यह अंदरूनी मामला है "



 "वाह रे कानून तू जनता के लिए और -

   ......................व औरों के लिए और "।



" कानून , तू वाक़िये ही अंधा है'

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