Live with Honesty...
Live with Honesty.......
ईमानदारी से जीना मँहगा शौक है। और बेईमानी सस्ता। मँहगा शौक ही पालें। क्योंकि यह सुखदायक है।
बहुत से लोगों का विचार होता है कि "सस्ते में काम चलाओ।" परंतु संसार में ऐसे भी कुछ लोग होते हैं, जो "मँहगे की परवाह नहीं करते, बल्कि वे सुख को प्रधानता देते हैं।" ऐसे लोग बुद्धिमान होते हैं। क्योंकि मूल रूप से तो सभी लोगों का लक्ष्य सुख प्राप्ति ही होता है। परंतु अपनी-अपनी बुद्धि संस्कार आदि में भिन्नता होने के कारण कुछ लोग सस्ते में सुख देखते हैं, और कुछ लोग वास्तविक सुख को देखते हैं, चाहे वस्तु मँहगी ही क्यों न हो!
जब लोग आपस में लेन-देन आदि व्यवहार करते हैं, तब कुछ लोग ईमानदारी से कार्य करते हैं, और कुछ लोग बेईमानी से। पहले-पहले तो बेईमानी में, झूठ छल कपट आदि करने में आसानी लगती है। ऐसा लगता है कि सस्ता काम है। अर्थात सरल है।
लेकिन कुछ समय के बाद जब उनका झूठ छल कपट बेईमानी इत्यादि पकड़ी जाती है, तब उनका विश्वास टूट जाता है। तब दूसरे लोग उन पर भरोसा नहीं करते और उनको प्राप्त हो सकने वाला भविष्य का सारा लाभ नष्ट हो जाता है। तब उन्हें पता चलता है कि बेईमानी से व्यवहार करना तो बहुत महंगा पड़ा। अर्थात इसमें तो बहुत बड़ी हानि हुई।
परंतु जो बुद्धिमान लोग हैं, वे ईमानदारी से व्यवहार करते हैं। वे जानते हैं, कि एक या दो बार धोखा खाकर तो कुत्ता भी समझ जाता है, कि सामने वाला व्यक्ति दुष्ट और बेईमान है। जब कुत्ते जैसा सामान्य प्राणी भी समझ सकता है, तो सामने वाला मनुष्य क्यों नहीं समझेगा? मनुष्य के पास तो कुत्ते की तुलना में बहुत अधिक बुद्धि है। किसी भी मनुष्य को आप हमेशा मूर्ख नहीं बना सकते। 1 या 2 बार धोखा खाकर वह भी समझ जाएगा, कि आप बेईमान हैं, सज्जन नहीं। अतः सच्चाई और ईमानदारी से व्यवहार करने में ही बुद्धिमत्ता है।
"ऐसे सच्चाई और ईमानदारी से व्यवहार करने में बहुत बार अनेक कष्ट भी उठाने पड़ते हैं। लोगों से नाराजगी भी हो जाती है। छोटे-मोटे झगड़े भी हो जाते हैं। अनेक बार कुछ स्वार्थी लोग, ईमानदारों को सहयोग भी नहीं देते हैं। सार यह हुआ कि ईमानदारी के कारण कुछ तात्कालिक हानियां भी उठानी पड़ती हैं।" इस तरह से यह ईमानदारी का व्यवहार या शौक महंगा पड़ता है, अर्थात इसमें तात्कालिक कष्ट भी मिलते हैं। इसीलिए लोग इससे घबराते हैं। और इसे मँहगा शौक कहते हैं। परंतु यह शौक भले ही महंगा हो, फिर भी है सुखदायक। कैसे?
ईमानदार लोगों पर अन्यों का विश्वास जीवन भर बना रहता है। जिससे वे बहुत अधिक लाभ और आनन्द प्राप्त करते हैं। जबकि बेईमान लोग अपनी दुष्टता और मूर्खता के कारण लोगों के साथ अपने संबंध बिगाड़ लेते हैं, तथा जीवन भर बड़ी बड़ी हानियां उठाते हैं।
कहने का अभिप्राय यह हुआ कि ईमानदार लोगों को कुछ स्वार्थी और मूर्ख लोग छोड़ देते हैं, जबकि सरल तथा ईमानदारी को चाहने वाले अधिकांश लोग उन पर भरोसा करके जीवनभर उनसे संबंध बनाए रखते हैं।
इसलिए बुद्धिमान लोग यह जानते हैं कि ईमानदारी भले ही महंगा शौक है, फिर भी है अधिक लाभकारी और सुखदायक। इस कारण से वे इसी महंगे शौक को पालते हैं. और इसी से अपना पूरा जीवन जीते हैं। ऐसे लोग सदा आनंद में रहते हैं। आप भी इस बात पर विचार करें और अपनी हिम्मत एवं ताकत बढ़ाकर ईमानदारी वाला ही महंगा शौक अपनाएं।