A little effort - ए खुदा अब रहमत बक्श
Hello Steamians,
I hope you all are well and healthy.
Stay in your homes and be safe, enjoy your life.
"ए खुदा अब रहमत बक्श"
शाखों से गिरते पत्ते अब रुक जाने चाहिएं.....
अंधियारी काली रात की सहर भी आनी चाहिए.....
ए खुदा अब रहमत बक्श...
सिर्फ तमाशबीन बनकर रह गई है जिंदगी....
अब इसे कुछ कर गुजरने की इजाजत भी मिलनी चाहिए.....
ए खुदा अब रहमत बक्श...
बहुत देख ली अब उदास शामें .....
एक खिलखिलाती सुबह भी आनी चाहिए.....
ए खुदा अब रहमत बक्श...
वो पंछियों का चहचहाना सुनाई तो अब भी देता है....
मगर सुनने का वो मन वो आत्मा भी होनी चाहिए.....
जिधर नजर डालो एक उदासी एक फिक्र एक बैचनी सी नजर आती है.....
ए खुदा अब रहमत बक्श
एक नई उमंग एक नई खुशहाली सी नजर आनी चाहिए.......
क्या बच्चा क्या जवान क्या बुजुर्ग....
डरे डरे से हैं सब....
अब तो सबके दिलो में एक विश्वास का दीपक रोशन होना चाहिए....
माना की गलतियों के पुतले हैं हम ......
पर तू भी तो खुदा है......
अब तो रहम तेरी तरफ से ही होनी चाहिए......
ए खुदा अब रहमत बक्श
(एक छोटा सा प्रयास)
Enjoy your prayer.
I hope you like it.
Have a good day.
You tried very hard and i liked your poetry. Its really nice. Every line has made good sense.
#affable #india
Thank you
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Your poetry very nice .. Thanks for sharing
Thanks
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Nice poem you have created. keep posting
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Thank you so much
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Nicely written my friend. Keep posting.
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Thanks
i liked your poetry 😃
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Thanks
Great lines from your side. Loved reading them. Take care and have a great day.
Thank you for nice comment
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