पता नहीं क्यों?

in #hindi7 years ago

“पूरे पाँच साल बाद मैं एक बार फिर से अपने स्वर्ग में था। मेरा स्वर्ग, मेरे लिए इस प्रथ्वी की सबसे खूबसूरत जगह – हरिद्वार।
हरिद्वार पहुँचकर मैं हमेशा की तरह संसार का सबसे खुश इंसान बन गया।
गंगा माँ के कलरव को सुनकर मैं सातवें आसमान पर था।
लेकिन पाँच साल पहले, मैं जो हरिद्वार छोड़ कर गया था, यहाँ वैसा कुछ भी नहीं था।
सबकुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा था।
गंगा जी के घाटों का, हर की पौड़ी का, पहले से काफी ज्यादा विकास हो चुका था, लेकिन गंगा अपने किनारों से काफी दूर जा चुकी थी।
घाटों पर बैठे साधु-सन्तों की संख्या काफी कम थी।
शायद इन सबकी ये भी वजह हो सकती है कि मैं हरिद्वार सर्दी में गया था, जबकि यहाँ ज्यादा रौनक सावन के महीने में होती है।
कुछ भी हो, हरिद्वार को देखकर मुझे जैसा भी महसूस हुआ, मैंने उसे कागज पर उकेरने की कोशिश की है।

“पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि;
पहाड़ों ने मौन रखा हो;
गंगा ने बहना छोड़ दिया हो;
बंदर कूदना भूल गये हों;
अजीब सी खामोशी छायी है हर जगह;
पता नहीं क्यों?

पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि;
चिड़ियों ने चहचहाना छोड़ दिया हो;
मन्दिरों में घण्टियाँ बजना बन्द हो गयीं हों;
भिखारियों ने माँगना छोड़ दिया हो;
अजीब सी खामोशी छाई है हर जगह;
पता नहीं क्यों?

पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि;
हाथियों का एक बड़ा झुंड मेरी तरफ आ रहा हो;
काले मुह वाले बन्दरों नें मुझे घेर कर रखा हो;
भरी बाजार में सिर्फ मैं और मेरी परछाई हो;
गंगा की तेज धारा मुझे अन्दर डुबो रही हो;
अजीब सी घबराहट छाई है हर जगह;
पता नहीं क्यों?

पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि;
एक सूनी पहाड़ी ने मेरा दिल छुपा लिया हो;
एक अजनबी लड़की ने मुझे धक्का दे दिया हो;
शिव जी के कपड़े पहने एक छोटे बच्चे ने मुझे लूट लिया हो;
एक शरारती दोस्त ने मुझे कपड़ों सहित गंगा में गिरा दिया हो;
अजीब सी घबराहट छाई है हर जगह।
पता नहीं क्यों?”

Coin Marketplace

STEEM 0.13
TRX 0.22
JST 0.030
BTC 82465.25
ETH 1900.14
USDT 1.00
SBD 0.78