हम तुझे कुछ इस क़दर शिद्दत से चाहने लगे अपने इन कजरारे नैनों में ............
हम तुझे कुछ इस क़दर शिद्दत से चाहने लगे अपने इन कजरारे नैनों में तुझको बसाने लगे पहले घर से बाहर कदम तक न रखते थे पर तेरी खातिर मंदिर तो क्या मस्ज़िद भी जाने लगें!'
हम तुझे कुछ इस क़दर शिद्दत से चाहने लगे अपने इन कजरारे नैनों में तुझको बसाने लगे पहले घर से बाहर कदम तक न रखते थे पर तेरी खातिर मंदिर तो क्या मस्ज़िद भी जाने लगें!'