मोह और लोभ
मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है ।सारी मानवता के भौतिक विकास के मूल में तीन वस्तुओं का सर्वाधिक योग दान है तो इन्ही तीन वस्तुओं की वजह से मानवता आध्यामिकता ,चरित्र ,सदाचार ,सद्विचार ,दया,करुणा ,सदाशयता एवम व्यक्ति का निजी पतन लगातार जारी है और इसका अंत कँहा होगा कोई नही जानता। ये है मोह लोभ तथा अहंकार ।