सत्य तो तुम्हें इसलिए रास न आया...
सत्य तो तुम्हें इसलिए रास न आया क्योंकि तुम्हारे भीतर छुपा वो झूठ तुम्हें मुफ्त में ही सपने दिखा रहा था|'."
सत्य तो तुम्हें इसलिए रास न आया क्योंकि तुम्हारे भीतर छुपा वो झूठ तुम्हें मुफ्त में ही सपने दिखा रहा था|'."