ट्रेजडी किंग – दिलीप कुमार की जीवनी | Dilip Kumar Biography in Hindi
ट्रेजडी किंग – दिलीप कुमार की जीवनी | Dilip Kumar Biography in Hindi
By Amar - September 6, 2018
Dilip Kumar Biography in Hindi
Dilip Kumar Biography in Hindi – दिलीप कुमार साहब हिंदी फ़िल्मों के एक लोकप्रिय अभिनेता हैं जिन्हें इनकी दुःखद सीन में हृदय स्पर्शी एक्टिंग करने की वजह से इन्हें ट्रेजडी किंग ( Tragedy King ) कहा जाता है. दिलीप जी राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. इन्हें भारतीय फ़िल्मों का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया हैं. इन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “निशान-ए-इम्तियाज” से भी सम्मानित किया गया हैं. सत्यजित राय ने भी उन्हें ‘The Ultimate Method Actor‘ का दर्जा दिया.
दिलीप कुमार लेटेस्ट न्यूज़ | Dilip Kumar Latest 2018 News
सन् 2011 में, दिलीप कुमार जी अचानक बीमार पड़ गये और किसी ने उनकी मौत की झूठी अफ़वाह फैला दी. इसके बाद उनकी पत्नी सायरा बानो जी ने सबको बतलाया कि दिलीप जी ठीक है और उन्हें कुछ नहीं हुआ हैं.
सन् 2013 में, दिलीप जे को फिर से हार्ट अटैक ( Heart Attack ) का दौरा पड़ा, जिसकी वजह से उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा.
सन् 2016 में दिलीप साहब की फिर तबियत खराब हुई और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया.
Update 2018 – कुमार की उम्र 95 साल है दिलीप कुमार काफी वृद्ध हो चुके हैं वो आजकल सार्वजनिक मौकों पर नजर नहीं आते हैं अपने घर में ही रहते हैं . मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘वो रूटीन चेकअप’ के लिए हर साल लीलावती अस्पताल ( Lilawati Hospital ) आते हैं.
दिलीप कुमार का जन्म व परिवार | Dilip Kumar Birth and Familiy
नाम – मोहम्मद युसूफ खान ( Mohammad Yusuf Khan )
प्रसिद्ध नाम – दिलीप कुमार
जन्म तिथि – 11 दिसम्बर,1922
जन्म स्थान – पेशावर पाकिस्तान
माता का नाम – आयशा बेगम
पिता का नाम – लाला गुलाम सर्वर
निवास स्थान – मुंबई
व्यवसाय – अभिनेता (ट्रेजडी किंग), प्रोडूसर और स्क्रीनराइटर
भाई-बहन – 12 भाई बहन
पत्नी – सायरा बानो ( 1966 ) और आसमा (1980)
सम्मान एवं पुरस्कार – दादा साहब फाल्के, पद्मभूषण और फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
दिलीप जी के जीवन की कहानी | Dilip Kumar Life Story
दिलीप कुमार का जन्म पकिस्तान के पेशावर में हुआ था. इनके पिता लाला गुलाम फल के व्यापारी थे. दिलीप जी ने अपनी शुरूआती पढ़ाई नासिक से की थी. 1930 में इनका पूरा परिवार मुम्बई में आकर रहने लगा.
1940 के आस-पास अपनी युवा अवस्था में निजो कारणों की वजह से अपने घर को छोड़ दिया. घर छोड़ने के बाद ईरानियन कैफ़े के मालिक की सहायता से कुमार एक कैंटीन कॉन्ट्रैक्टर ताज मोहम्मद शाह से मिले जो उनके पिता के करीबी थे. अपने परिवार के बारें में बताने से पहले ही उन्हें अपने ज्ञान और अच्छी अग्रेजी की वजह से वहाँ नौकरी मिल गयी थी.
कुछ समय पश्चात, दिलीप जे ने आर्मी क्लब ( Army Club ) में अपना एक छोटा सैंडविच स्टाल खोल दिया और जब कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हुआ तब वो 5 हजार रूपये लेकर अपने घर मुंबई (बॉम्बे) आ गये. पिता और परिवार को आर्थिक रूप से और मजबूत करने कल इए कुछ करना चाहते थे. तभी उनकी मुलाकात चर्चगेट ( Churchgate ) पर डॉ. मसानी से हुई जिन्होंने कुमार साहब को बॉम्बे टॉकीज, मलाड आने को कहा.
वहाँ पर उनकी मुलाकात अभिनेत्री देविका रानी से हुई, जो बॉम्बे टॉकीज की मालकिन थी. उन्होंने दिलीप कुमार को 1250 रूपये सलाना देने का सौदा करते हुए साइन करा लिया था. वहीं उनकी मुलाकात कलाकार अशोक कुमार से हुई, जो कुमार के अभिनय से काफी प्रभावित हुए थे. दिलीप कुमार को उर्दू भाषा और साहित्य का अच्छा ज्ञान था जिसकी वजह से वो कहानी लेखन में उनकी सहायता करते थे. देविका रानी ने उन्हें फिल्म ज्वार-भाटा (1944) में मुख्य अभिनेता के रूप में लांच भी किया. इस फिल्म ने ही दिलीप साहब के जीवन को नयी दिशा प्रदान की.
दिलीप कुमार का करियर | Dilip Kumar Carrier
1944 में आई इनकी फिल्म “ज्वार-भाटा” फ्लॉप रही.
1947 में आई इनकी फिल्म “जुगनू” सुपरहिट रही, इसी फिल्म ने इन्हें रातों-रात बड़ा अभिनेता बना दिया.
1948 में ‘शहीद’, ‘अनोखा प्यार’ और ‘मेला’ जैसी फिल्मों में काम किया.
1949 में दिलीप कुमार ने राज कपूर और नर्गिस की फिल्म ‘अंदाज’ में काम किया. यह फिल्म उस समय की सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाली फिल्म बनी.
1950 में ‘जोगन’, ‘दीदार’ और ‘दाग’ जैसी फिल्मों के बाद ही लोगो ने इन्हें ट्रेजडी किंग कहना शुरू का दिया.
1955 में ‘देवदास’ जैसी फिल्म इन्होने वैजयंतीमाला व सुचित्रा सेन के साथ किया.
1960 में ‘कोहिनूर’ फिल्म की जिसमें उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड मिला.
1960 में ही दिलीप कुमार जी ने ‘मुगल-ए-आजम’ फ़िल्म में शहजादे सलीम की भूमिका निभाई, जो इनके करियर की सबसे बड़ी हित साबित हुई.
1981 में ‘क्रांति’ फिल्म की. यह फिल्म सुपर हिट रहीं.
1991 में ‘सौदागर’ फिल्म की. यह फिल्म भी हिट रहीं.
1998 में आखिरी फिल्म ‘किला’ में काम किया.
इनकी बहुत सारी फिल्मे फ्लॉप भी रहीं जिनमे कुछ के नाम इस प्रकार हैं – गंगा जमुना, दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम आदि. 70 के दशक के आसपास दिलीप साहब ने पांच सालों का एक लम्बा ब्रेक भी लिया. जिसके दौरना इन्होने किसी भी फिल्म में काम नहीं किया.
दिलीप कुमार के प्यार की कहानी | Dilip Kumar Love Story
दिलीप साहब को पहला प्यार अभिनेत्री कामिनी कौशल से हुआ, लेकिन कुछ मुसीबतों की वजह से उनकी शादी नही हो पाई. कुछ समय पश्चात दिलीप कुमार की मुलाक़ात मधुवाला से हुई, एक-दुसरे की नजरें मिली और मुलाकाते बढ़ी और कुछ समय बाद दोनों में गहरा प्यार हुआ. दिलीप कुमार मधुवाला से शादी करना चाहते थे लेकिन मधुवाला के पिता इस विवाह के खिलाफ थे. ऐसा माना जाता हैं कि मधुवाला ही परिवार में एकलौती कमाने वाली थी. दिलीप कुमार और मधुवाला की जोड़ी ने मुग़ल-ए-आजम जैसी महान फिल्म भी की थी. यह फिल्म अपने जमाने की बेहतरीन फिल्मों में से एक थी. इसी वजह से बहुत से डायरेक्टर दिलीप कुमार और मधुवाल को अपने फिल्मों में एक साथ लेना चाहते थे लेकिन मधुवाला के पिता इसके सख्त खिलाफ थे. बाद में फ़िल्मी जानकारों ने वयजंतिमाला को दिलीप कुमार का तीसरा प्यार बताया. दोनों ने ही अपने करियर में 1955 से 1968 के दरमियाँ काफी सफल फिल्मे भी दी.
दिलीप कुमार की शादी | Dilip Kumar Marriage Life
सन् 1966 में दिलीप साहब ने अभिनेत्री “सायरा बानू” से शादी कर ली. उस समय दिलीप साहब की उम्र 44वर्ष और सायरा की 22 साल थी, सायरा बानो उनसे 22 साल छोटी थी. दिलीप कुमार ने 1980 में “आसमा” से दूसरी शादी भी की, क्योंकि वो पिता बनना चाहते थे लेकिन उनकी यह शादी ज्यादा समय तक नही टिक सकी. दिलीप कुमार अपनी जिंदगी में पहली बार 2013 में अपनी पत्नी सायरा बानू के साथ तीर्थस्थान मक्का गये थे.
दिलीप कुमार के अवार्ड और सम्मान | Dilip Kumar Awards
ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार हिंदी सिनेमा के महान कलाकारों में से एक हैं. उन्होंने अपने जीवन में कई बार बेस्ट एक्टर का पुरस्कार और सम्मान पा चुके हैं, और यह अपनेआप में ही एक रिकॉर्ड है.
1991 – पद्म भूषण
1993 – लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
1994 – दादासाहेब फालके अवार्ड
1998 – पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
1983 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – शक्ति
1968 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – राम और श्याम
1965 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – लीडर
1961 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – कोहिनूर
1958 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – नया दौर
1957 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – देवदास
1956 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – आज़ाद
1954 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – दाग
दिलीप कुमार के बारें में रोचक तथ्य | Interesting Facts about Dilip Kumar
दिलीप जी का नाम सबसे अधिक अवार्ड पाने के लिए गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हैं.
दिलीप कुमार की पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा‘ थी, जो 1944 में आई और इनकी आखिरी फिल्म “किला” है जो 1998 में बनी.
फ़िल्म ‘शक्ति’ में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया. इस फ़िल्म के लिए उन्हे फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार ( Filmfare Award ) भी मिला.