International flow of Communication
इस बात से हम सभी अवगत हैं कि हम एक 'सूचना-क्रांति' के दौर से गुजर रहें हैं। इस दौर में हुए अनेक आविष्कारों ने पूरे संसार को 'एक' कर दिया है। संचार के क्षेत्र में नई-नई तकनीकों ने आज समस्त विश्व की दूरियों को काफी हद तक कम कर दिया है। पूरे विश्व को एक गांव (Global Villege) बना दिया है।
यही कारण है कि आज एक देश की घटना का प्रभाव दूसरे देशों पर भी दिखाई देता है। किसी एक देश में हुए हादसे या बदलाव दूसरे देशों को भी कानून/नियम बनाने के लिए बाध्य कर देते हैं। उदहारण के लिए सन 1930 और 2009 में अमेरिका में आई आर्थिक मंदी का असर पूरे विश्व पर देखने को मिला। उसी तरह से सन 2001 में अमेरिका के पेंटागन शहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुआ आतंकी-हमला इसका एक उदाहरण है, जिसके बाद अमेरिका ने पूरे विश्व में हाई अलर्ट जारी कर दिया। ये सूचना का ही प्रभाव था कि पूरे विश्व ने इस घटना के बाद आतंकवाद से लड़ने के लिए अपने-अपने नियम और कानून बनाये।
संचार की दृष्टि से जिस देश के पास जितने ज्यादा सूचना और संचार के माध्यम होते हैं, वह देश उतना ही सबल माना जाता है। तीव्र गति के साथ स्पष्ट और साफ तरीके से सूचना का प्रसारण करने वाले माध्यम उस देश की नींव होते हैं। यही कारण है कि आज हर देश को बेहतर से बेहतर सूचना-तकनीक चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सूचना के प्रवाह को संतुलित करने के लिए UNESCO जैसे संगठन ने NWICO और MacBride Commission का गठन किया है। इनके गठन का मुख्य कारण यही है कि पूरे विश्व में सूचनाओं का स्वरूप समान और संतुलित हो। साथ ही साथ सूचनाओं के लिए विकासशील देशों की विकसित देशों पर निर्भरता को कम करना भी इसका एक मुख्य उद्देश्य है। नई नई तकनीकों ने संचार के स्वरूप को काफी हद तक बदल दिया है। जो सूचना-संचार कभी एक-तरफा (पश्चिमी देशों से पूर्वी देशों की ओर) हुआ करता था, उस संचार को संतुलित और समान करने में इन्हीं नई तकनीकों ने अहम् योगदान दिया है।
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