Beautiful thoughts
लोगों से दांव-पेंच खेलते खेलते नीचा दिखाने के जुनून में षड्यंत्रकारी कब नियंत्रण रेखा से आगे निकल गया उसे एहसास नहीं होता और आगे कोई रास्ता नहीं सूझता पीछे लौटना अपनी बेईज्जती समझता है फिर तो न घर का न घाट का रह जाता है।
लोगों से दांव-पेंच खेलते खेलते नीचा दिखाने के जुनून में षड्यंत्रकारी कब नियंत्रण रेखा से आगे निकल गया उसे एहसास नहीं होता और आगे कोई रास्ता नहीं सूझता पीछे लौटना अपनी बेईज्जती समझता है फिर तो न घर का न घाट का रह जाता है।