Amar Hutatma Swami Shraddhanand 1

in #article6 years ago

Legends of great men, from novels and plays
More exciting and interesting, but Swami Shradhananda's
The flow of life Sarita is most awful. Milton's
Paradise is the Immortal Text of the Last Epic World Literature in which
The Battle of Almighty God and Satan
Is the depiction of Swami Shraddhananda's self story Kalyan
The path of the path "travels the reader from hell to heaven.
Many horrible, horrific, horrible scenes after heaven
Brahman Loka unique while showing a beautiful image
Visible to the tableau. The rise and fall of human life
The reader forgot to breathe while watching the scenes. this
In self-narrative, sin is the soul's soul sinking in the ocean,
Is alcohol, alcohol is, there is alcohol, there is money, there is money, it is madness, boisterous
Lust is poisonous attraction, it's adventures, Shayari is, Chess
It is hukkaa, ayayashi hai, mataragashti hai, aavaragi hai and hain sin
The cannibalic crocodile that disperses the waves in the ocean
Humans scream in this bhagasagar raises - save,
Help . There is obsolescence at all, the ray of hope
No . Human beings shedding tears in the mouth of a cannibals crocodile
The sky starts vibrating and usually a light is heard by screaming
Roam is descended. Cannibal crocodile with this light beam
And his victim's eyes disappeared in human eyes.
The powerful arms of that light beam from the mouth of the crocodile
While screaming, they grab and hold human and
Fierce Mahasamara starts human thirst for blood
Between the crocodile and immortality messenger Prakash Punj this
Who is the light bulb, whose bulky arm is the protection of humanity
It is the light bulb that Aditya
Brahmachari Maharishi Dayanand Saraswati.



महापुरुषों की जीवनगाथा उपन्यासों और नाटकों से भी
अधिक रोमांचक व रोचक होती है परन्तु स्वामी श्रद्धानन्द की
जीवन सरिता का प्रवाह सर्वाधिक विस्मयकारी है । मिल्टन का
पैराडाईज लास्ट महाकाव्य विश्व साहित्य का अमर ग्रन्थ है जिसमें
सर्वशक्तिमान ईश्वर और शैतान के महायुद्ध का रोंगटे खड़े करने
वाला चित्रण है परन्तु स्वामी श्रद्धानन्द की आत्म कथा कल्याण
मार्ग का पथिक'' पाठक को नरक से स्वर्ग तक की यात्रा कराते।
हुए अनेक भयानक, वीभत्स, घृणित दृश्यों के बाद स्वर्गिक
सौन्दर्यमय मनोहारी चित्र दिखाते हुए ब्रह्म लोक की अद्वितीय
झांकी के दर्शन कराती है। मानव जीवन के उत्थान और पतन
के दृश्यों को देखता हुआ पाठक सांस लेना भूल जाता है । इस
आत्म कथा में पाप सागर में डूबती हुई आत्मा का आर्तनाद है,
एडवेन्चर है, मद्य है, मदिरा है, मीन है, मुद्रा है, मैथुन है, उद्दाम
वासना का जहरीला आकर्षण है, रोमांच है, शायरी है, शतरंज
है, हुक्का है, अय्याशी है, मटरगश्ती है, आवारगी है और हैं पाप
सागर में उत्ताल तरंगों को विदीर्ण करने वाले नरभक्षी मगरमच्छ ।
इस भवसागर में मयत्रस्त मानव चीख उठता है - बचाओ,
बचाओ । चारों तरफ निबिड़ अंधकार है, कोई आशा की किरण
नहीं । नरभक्षी मगरमच्छ के मुंह में आंसू बहाते हुए मानव की
चीख सुनकर आकाश कांपने लगता है और सहसा एक प्रकाश
पूंज का अवतरण होता है । इस प्रकाश पुंज से नरभक्षी मगरमच्छ
और उसके शिकार निरीह मानव की आंखें चौंधियां जाती हैं ।
उस प्रकाश पुंज की शक्तिशाली भुजाएं मगरमच्छ के मुंह से
चीत्कार करते हुए मानव को पकड़कर खींचने लगती हैं और
भयंकर महासमर प्रारंभ हो जाता है मानव के खून के प्यासे
मगरमच्छ और अमरता के संदेशवाहक प्रकाश पुंज के बीच । यह
प्रकाश पुंज कौन है जिसकी वजविनन्दक भुजाएं मानवता के त्राण
के लिये असुरों से महायुद्ध कर रही हैं वह प्रकाश पुंज है आदित्य
ब्रह्मचारी महर्षि दयानन्द सरस्वती ।



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