मेरी डायरी : महाकुंभ समापन (मित्र मंडली के संग शिवरात्रि का महा स्नान )
मुझे अपनी डायरी पोस्ट किए हुए काफी दिन हो गए थे। मुझे लगता है लगभग 1 पखवाड़े से ज्यादा हो गया है, पर आज मैं ये पोस्ट लिख रहा हूँ। तो सबसे पहले आप सब कैसे हैं? उम्मीद है सब कुछ अच्छा ही होगा आप सभी के यहां। तो मैं इन बीते दिनों के बारे में बात करूंगा। महाकुंभ समापन की ओर बढ़ता हुआ, मेले में हमारी मस्ती और अन्य चीजों की चर्चा इस पोस्ट में की जाएगी। उम्मीद है आप सभी रुचि के साथ मेरा आर्टिकल पढ़ेंगे।
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मेला स्नान को जाते हुए |
पिछली पोस्ट में मैंने बताया था कि हमने अपने दोस्त का जन्मदिन मनाया था। उसके अगले दिन हम सुबह फिर से संगम स्नान करने चलने का मन बना लिया था। सुबह के 4:30 बजे मेरा अलार्म बजा और फिर मैने अपने सारे दोस्तों को जगाया। उसमें से एक दोस्त शुभम ने सुबह उठने में आनाकानी की। हमने जबरदस्ती उसे जगा कर त्रिवेणी संगम को ले चले।
कॉलोनी से निकलकर रोड पर एक ई-रिक्शा बुक कर लिया। रिक्शा वाला सामान्य से ज्यादा किराया मांग रहा था क्योंकि कुंभ मेले के समय रस्ते डायवर्टेड हैं और भीड़ भाड़ भी सामान्य से बहुत ज्यादा है। खैर हमने किराया तय करके आगे प्रस्थान किया। मेले से 1 किलोमीटर पहले नाग वासुकी मंदिर पर ही ई-रिक्शा को पुलिस प्रशासन ने रोक दिया। वहां से हम सभी पैदल ही निकल गए।
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यहां पर ऑटो को आगे जाने से रोक दिया गया था। |
500 मीटर चलने के बाद नदी के सूखे हिस्से में हम नीचे उतर गए और वहां से मेले में लगी हुई दुकानें दिखने लगी। फूल माला, प्रसाद, शंख और खाने पीने की चीजें भी वहां मिल रही थी। सबसे पहले हमें एक व्यक्ति मिला जो मंजीरा बेच रहा था। हमने दो मंजीरे खरीद लिए। आप मंजीरे को कोई खाने की चीज मत समझ लीजिएगा। यह एक बजने वाला यंत्र है। इसे बजते हुए और सीता राम जपते हुए हम आगे बढ़ हो रहे थे कि खूबसूरत शंखों की एक दुकान दिख गई। हमने मोल भाव करके 150/– रुपए का एक शंख खरीद लिया। फिर रास्ते भर ये सब वाद्य यंत्र बजाते हुए हम आगे बढ़ चले।
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आगे बढ़ने पर हमें दिखाई दिए कांटो वाले बाबा जो हाल ही में ऑनलाइन ट्रेंडिंग में थे। हुआ यूं था कि एक मोटी सी लड़की उनसे पैसे मांग रही थी यह कहकर कि आप तो सन्यासी हैं आपको पैसों की क्या जरूरत। उन्होंने कहा कि मेरे भी बाल बच्चे हैं। तो लड़की उन्हें ढोंगी कहकर डांटने लगी। उसका वीडियो देखकर लोगों ने लड़की को बहुत बुरा भला कहा था। मेरे दोस्त ने कांटो वाले बाबा के साथ फोटो खिंचाई। वे कांटो के बंडल के ऊपर सोए हुए थे और लोग उनसे आशीर्वाद ले रहे थे।
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कांटो वाले बाबा से मिलकर हम आगे बढ़े ही थे कि एक नागा साधु दिखाई दिए जो कि काफी मोटे तगड़े थे। वह अपने आसान पर बैठे हुए थे। उनका पेट सामने की तरफ निकला हुआ था पूरा शरीर स्थूल था। पूरे शरीर पर उन्होंने सफेद भभूत लगाई हुई थी, लोग उनसे आशीर्वाद ले रहे थे मैंने अपना मोबाइल निकाला और फोटो खींचना शुरू किया लेकिन उन्होंने उंगली दिखाते हुए इस बात से मना किया लेकिन फोटो तब तक खिंच चुकी थी, मैं भी आगे बढ़ गया।
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संगम पर पहुंचने पर हमने भारी भीड़ देखी। किनारे पर केवल लोग ही लोग दिखाई दे रहे थे। हम बारी बारी से 2-2 लोग नहाने गए क्योंकि कपड़ों पर भी नजर रखनी थी। दिन के 9:30 बज चुके थे और सूरज सामने चमक रहा था पानी बहुत ज्यादा ठंड नहीं था फिर भी सामान्य से ज्यादा ठंडा था। मुझे याद है जब मैं पिछली बार यहां नहाने आया था करीब 20 दिन पहले उस दिन सुबह 5:30 बजे ही नहाने आ गया था उस समय संगम का पानी आज के हिसाब से 5 गुना ठंडा था। इसलिए आज पानी उतना ठंड महसूस नहीं हो रहा था। नहाने के बाद हम लोग वापस आने लगे, हम पूरी तरह थक चुके थे। हमने एक ऑटो बुक किया और उसने सामान्य से ज्यादा किराया लिया। आगे चलने पर हमें बहुत ही लंबा जाम दिखाई दिया और 5 किलोमीटर का सफर हमने लगभग 2 घंटे में तय किया यह सब कुंभ मेले की भीड़ भाड़ का नतीजा था। |
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मेले की कुछ तस्वीरें। |
26 फरवरी के दिन हम लोग फिर से एक बार गंगा स्नान को घाट पर गए। आज मेले का अंतिम दिन था पर कुंभ में नहाने वालों की संख्या जरा भी काम नहीं हुई थी। आज सामान्य से ज्यादा भीड़ दिखाई दे रही थी। हमने करीब 2 घंटे तक स्नान किया बहुत मजा आया।
कुछ अफवाह है इंटरनेट पर फैलाई गई हैं कि मेले की तारीख बढ़ा दी गई है लेकिन यह बात सत्य नहीं है। मेला 26 फरवरी को ही खत्म हो जाएगा उसके बाद मेरे क्षेत्र की साफ सफाई का कार्य शुरू किया जाएगा। आज की पोस्ट यहीं पर समाप्त होती है। मेरा पोस्ट धैर्य से पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद, आपका दिन शुभ हो।