हमारी मातृभाषा हिंदी
ऊँ नमस्ते!
"हिंदी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति हैं, यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है"
आधिकारिक रूप से हिंदी दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोले जानी वाली भाषा हैं।हिंदी भाषा संस्कृत के सबसे पास हैं तभी क्रांतिकारियों ने इस को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने की मांग करी थी।लेकिन हम लोगो को लज्जा आनी चाहिए कि क्रांतिकारियों के सपनों को हम पूरा न कर सके और इस भाषा में उर्दू(यह भाषा हिंदुओं से घृणा के कारण मुसलमानों ने बनाई थी) के शब्दो को घुसाते जा रहे हैं।
दुनिया के जितने भी विकसित देश हैं वो अपनी मातृभाषा में पी.एच.डी तक की पढाई कराते हैं।
पर हमारा ही ऐसा देश हैं जहाँ अपनी मातृभाषा को छोड़कर एक ऐसी भाषा में पढाई कराई जाती हैं, जिस भाषा के जरिए हमारे देश को गुलाम बनाया गया!
अंग्रेजी बोलने वोलो को हमारे देश में सभ्य-शिक्षित समझा जाता हैं।भले ही उसको कुछ भी व्यहवारिक ज्ञान न हो, न ही कुछ संस्कार हो और न ही अपने देश-संस्कृती के बारे में कुछ जानता हो पर उसे विद्वान समझा जाता हैं।
यह भारत में सबसे बड़ा मजाक चल रहा हैं कि अंग्रेजी बोलने वाले को शिक्षित/सभ्य समझा जाता हैं क्योंकि अमेरीका/ब्रिटेन में नाली साफ करने वाला भी अंग्रेजी बोलता हैं।
इस आंकड़े के आधार पर हिंदी को चौथी सबसे ज्यादा बोले जानी वाली भाषा का दर्जा दिया जाता हैं।
क्या आपको लगता हैं कि सिर्फ 26 करोड़ लोग ही हिंदी बोलते हैं???
हिंदी भाषा दुनिया में अंग्रेजी से भी ज्यादा बोली जाती हैं।
अगर सिर्फ बिहार,झारखंड, यू.पी., हरयाणा, मध्य प्रदेश , राजस्थान की जनसंख्या जोड़ दी जाए तो 50 करोड़ तो ऐसे ही पार कर दिया!
हिंदी दुनिया में दूसरे स्थान पर सबसे ज्यादा बोली जाती हैं और अगर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिया जाए तो हिंदी दुनिया में पहले स्थान पर होगी।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी मातृभाषा को सही सम्मान मिले तो यह आपके हाथ में हैं।
हिंदी का अधिक-से-अधिक प्रयोग करे।
सोशल मिडीया,मैसेंजर आदि हर जगह हिंदी का प्रयोग करने की कोशिश करे।
हिंदी के समाचार पत्र, पत्रिकायें, समाचार पढे।
अपने हस्ताक्षर हिंदी में करे।
"हम भाषा को नहीं बनाते, भाषा हमें बनाती हैं।"
धन्यावाद!